GST Update: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Goods and Services Tax) से जुड़े मामलों में मुनाफाखोरी करने वालों के खिलाफ जांच का अधिकार अब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) के पास होगा. एक दिसंबर 2022 से ये जिम्मेदारी सीसीआई को सौंप दी गई है. पहले ये काम नेशनल एंटी-प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी (National Anti-profiteering Authority) के पास था जिसका कार्यकाल एक दिसंबर को खत्म हो रहा है.  


सीबीआईसी (Central Board of Indirect Taxes and Customs) ने अपने आधिकारिक आदेश में कहा है ये कि ये फैसला जीएसटी काउंसिल (GST Council) के सिफारिशों के आधार पर लिया गया है. सीबीआईसी के मुताबिक सीसीआई को ये अधिकार सौंपा गया है कि किसी रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) लेने या फिर जीएसटी रेट के कटौती के चलते किसी भी गुड्स या सर्विसेज के दामों में  कटौती का लाभ का फायदा दिया गया है या नहीं. 


नेशनल एंटी-प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी एक दिसंबर से कार्य करना बंद कर देगा. हालांकि इसका इवेस्टीगेशन विंग डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ एंटी-प्रॉफिटयरिंग (DGAP)के पास जीएसटी कानून के मुताबिक जांच करने का अधिकार बना रहेगा. DGAP जो भी रिपोर्ट तैयार करेगी उसपर आदेश सुनाने के लिए सीसीआई को सौंपा जाएगा. हालांकि मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच बनाने डीजीएपी से पेंडिंग केस को सीसीआई को ट्रांसफर करने में समय लगेगा जिससे लंबित मामलों की संख्या बढ़ सकती है.  


सीसीआई के पूर्व चेयरमैन अशोक कुमार गुप्ता के अक्टूबर में रिटायर होने के बाद अभी तक नए सीसीआई चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो पाई है. नए चेयरमैन के नियुक्ति के बाद उन्हें नेशनल एंटी-प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी की भूमिका भी अदा करना होगा.  


जीएसटी कानून के तहत  नेशनल एंटी-प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी का गठन किया गया था. जिसका काम अनैतिक रूप से मुनाफाखोरी करने वाले रजिस्टर्ड सप्लायर पर नजर रखना था. साथ ही इस संस्था पर जिम्मेदारी थी कि वो सुनिश्चित करे कि जीएसटी काउंसिल द्वारा टैक्स घटाये जाने का लाभ आम लोगों को मिले. 


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