Indian Economy: कर्ज की भारी मांग (Credit Demand)  और कच्चे तेल ( Crude Oil) के दामों में गिरावट के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था ( Indian Economy) को गति मिल सकती है जिसके चलते मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक विकास दर (Economic Growth Rate)  6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन (V Anantha Nageswaran) ने ये बातें कही है. उन्होंने कहा कि इन संकेतों के साथ कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में तेजी के चलते वैश्विक आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार और मौसम से जुड़े जोखिमों का अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा. 


मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि आर्थिक सर्वे में 6.5 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान जताया गया है. अप्रैल 2023 के मंथली इकोनॉमिक रिपोर्ट में भी यही कहा गया है. उन्होंने कहा कि मानसून और वैश्विक राजनीतिक जोखिमों को छोड़ दें तो टैक्स कलेक्शन में उछाल और सर्विसेज सेक्टर की रफ्तार के चलते अप्रैल महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था की गति अच्छी रही है. 


एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में गिरावट पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कहा कि ग्लोबल डिमांड में कमी के चलते गुड्स का एक्सपोर्ट्स घटा है जबकि कच्चे तेल के दामों में कमी के चलते इंपोर्ट में कमी नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि करंट अकाउंट डिफसिट स्टेबल है और विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सकारात्मक संकेत दे रहा है. 


वी अनंथा नागेश्वरन ने उम्मीद जाहिर किया कि अगर कच्चे तेल के दामों में कमी बन रहती है तो खुदरा महंगाई दर घटकर 4 फीसदी के लेवल तक घट सकता है. अप्रैल 2023 में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.7 फीसदी पर आ चुकी है. लेकिन इस गर्मी के मौसम में तापमान में बढ़ोतरी, अल नीनो के खतरे और कमोडिटी के दामों में तेजी उछाल इन उम्मीदों पर पानी भी फेर सकता है. 


अगले हफ्ते बुधवार को सांख्यिकी मंत्रालय वित्त वर्ष 2022-23 और इसी वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए जीडीपी का आंकड़ा जारी करने वाला है. बुधवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई है कि जीडीपी अनुमान से बेहतर 7 फीसदी रह सकता है. 


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