Budget 2023-24: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ही एक फरवरी 2020 को पेश किए बजट में इनकम टैक्स की नई व्यवस्था शुरू किए जाने का एलान किया था. ये अलग बात है कि नई टैक्स व्यवस्था में कोई डिडक्शन नहीं मिलने के चलते टैक्सपेयर्स के बीच कभी भी नई व्यवस्था की स्वीकार्यता नहीं बन पाई. लेकिन एक फऱवरी 2023 को निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करेंगी तो इनकम टैक्स की नई व्यवस्था (New Tax Regime) की टैक्सपेयर्स के बीच स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए इसके नियमों में बड़े बदलाव करने को लेकर बड़ा एलान संभव है. माना जा रहा है कि इनकम टैक्स की नई व्यवस्था  (New Income Tax Regime) में शर्तों के साथ टैक्स छूट दी जा सकती है. जिससे टैक्सपेयर्स इस विकल्प को चुन सकें. 


2020 में आई नई टैक्स व्यवस्था 


साल 2020 में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स स्लैब ( Income Tax Slab ) का एक नए टेबल और व्यवस्था का ऐलान किया था. इस नए टैक्स स्लैब व्यवस्था ( New Tax Regime) के मुताबिक यदि कोई टैक्सपेयर्स ( Taxpayers) टैक्स छूट ( Tax Benefit) या डिड्क्शन ( Deduction) का लाभ नहीं लेना चाहता है वो इस नए टैक्स स्लैब व्यवस्था ( New Tax Regime) विकल्प को चून सकता है. नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये तक के आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है. 2.50 से 5 लाख रुपये तक के आय 5 फीसदी टैक्स लगता है जिसमें 87ए के तहत रिबेट का प्रावधान है. 5 से 7.50 लाख रुपये के आय पर 10 फीसदी, 7.50 से 10 लाख तक के आय पर 15 फीसदी, 10 से 12.50 लाख रुपये के आय पर 20 फीसदी, 12.5 से 15 लाख तक के आय पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा के आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है. 


नई टैक्स व्यवस्था में मिलेगी छूट!


माना जा रहा है कि नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहते टैक्स छूट की सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये और 5 लाख से 7.50 रुपये तक आय पर 5 फीसदी टैक्स केवल देना पड़ सकता है जो अभी 10 फीसदी देना पड़ता है. नई टैक्स व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिक्शन का फायदा टैक्सपेयर्स को दिया जा सकता है. जाहिर है ऐसा एलान को टैक्सपेयर्स को नई टैक्स व्यवस्था लुभा सकती है. 


टैक्सपेयर्स की बेरुखी


नए इनकम टैक्स रिजिम में 2.5 लाख रुपये तक के सलाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है लेकिन पुराने टैक्स रिजिम में 7.5 लाख रुपये तक कमाई करने वाले टैक्स देने से बच जाते हैं. ज्यादातर लोग इसी कैटगरी में आते हैं और इसलिए नए इनकम टैक्स रिजिम का चुनाव करने के लिए इंसेटिव नहीं है. इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में भले ही टैक्स दरें कम हो लेकिन होम लोन के मूलधन या ब्याज या बचत पर टैक्स छूट के अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने के चलते टैक्सपेयर्स को नई व्यवस्था लुभा नहीं पा रही है. 2021-22 एसेसमेंट ईयर में 5 फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था. 


निवेश पर टैक्स छूट का लाभ


इनकम टैक्स स्लैब की पुराने रिजिम में टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80सी के तहत बीमा ईएलएसएस( ELSS), प्राविडेंट फंड, पीपीएफ ( PPF) और बच्चों के ट्यूशन फीस  के साथ होमलोन के मूलधन पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है. 2 लाख रुपये तक होमलोन के ब्याज पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. 50,000 रुपये के स्टैडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का भी लाभ मिलता है जो इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में नहीं मिलता है. 


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