नई दिल्लीः मोदी सरकार 2 का पहला बजट पेश होने में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं और इसको लेकर जोरों-शोरों से तैयारियां चल रही हैं. कल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की मौजूदगी में वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक में हलवा सेरेमनी हुई जिसके बाद आधिकारिक रूप से बजट दस्तावेजों की छपाई का काम शुरू हो गया है. पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को संसद में बजट पेश करेंगी. इस बजट से आम लोगों के साथ उद्योग जगत यानी इंडस्ट्री को भी कई उम्मीदें हैं और इस बजट से उनके आर्थिक समस्याओं से कुछ राहत मिलने की उम्मीद इंडस्ट्री जगत के विशेषज्ञ लगा रहे हैं.



उद्योग जगत को इस बार बजट से ये हैं उम्मीदें


कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाएं वित्त मंत्री
इंडस्ट्री जगत की सबसे बड़ी मांग ये है कि कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटाकर 18 फीसदी कर दी जाए. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इसे घटाकर 25 फीसदी करने का वादा किया था. इंडस्ट्री जगत के जानकारों की मांग है कि अगर कॉर्पोरेट टैक्स की दर घटाकर 18 फीसदी कर दी जाती है तो इससे उनकी लागत काफी कम हो जाएगी और कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने में सक्षम होंगी जिससे वो उत्पादन भी बढ़ा पाएंगी और रोजगार के अवसर भी और ज्यादा तेजी से पैदा कर पाएंगी.


हालांकि इंड्स्ट्री के जानकारों का कहना है कि सरकार इसके बदले में चाहे तो सभी कंपनियों को टैक्स के मामले में मिल रही सभी छूट खत्म कर सकती है लेकिन कॉर्पोरेट टैक्स 18 फीसदी कर दे जिससे उनको आर्थिक मोर्चे पर राहत मिल सके. बता दें कि जिन कंपनियों का टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से कम है, उनके लिए सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटाकर 25 फीसदी पहले ही कर दिया है.


डीडीटी में की जाए कटौती
इंडस्ट्री चाहती है कि डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स यानी लाभांश वितरण कर या (डीडीटी) की दर में भी कटौती की जाए. फिलहाल इसकी दर 20 फीसदी है जिसे घटाकर 10 फीसद करने की मांग की जा रही है. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट से पहले हुई बैठक में इंड्स्ट्री जगत के डेलिगेशन ने डीडीटी को घटाकर 10 फीसदी करने जैसे सुझाव दिए.


कंपनियों के लिए इंसेंटिव्स की शुरुआत
इंडस्ट्री चाहती है कि रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों के लिए कुछ ऐसे इंसेंटिव्‍स की घोषणा की जाए जिससे कंपनियों को नए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रोत्साहन मिले. इससे दोहरे फायदे होंगे, एक तो कंपनियां ज्यादा रोजगार के मौके पैदा करेंगी जिससे देश की बेरोजगारी की समस्या कुछ हद तक सुलझ पाएगी और ज्यादा उत्पादन होने से देश का औद्योगिक उत्पादन भी बढ़ जाएगा जो पिछले कुछ समय में चिंता का सबब बन गया है.


भूमि और श्रम कानूनों में और सुधार
इंडस्ट्री में इंवेस्टमेंट को बढ़ावा देना भी बेहद जरूरी हो चला है और इसके लिए भूमि और श्रम कानूनों में और सुधार करने की जरूरत है. इंडस्ट्री चाहती है कि उसके लिए टैक्स में कटौती की जाए भले ही मिल रही रिबेट को खत्म कर दिया जाए. इंडस्ट्री के लिए सिंगल विंडो सरल टैक्स की व्यवस्था की जाए जिससे कंपनियों के लिए टैक्स भुगतान सरल भी और सुविधाजनक भी हो.


स्टार्टअप्स के लिए हों ऐलान, मिले टैक्स में छूट
स्‍टार्ट-अप्‍स को टैक्‍स में छूट देकर सरकार नए आंत्रप्रेन्योर को नए उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. सरकार पहले ही बता चुकी है कि मुद्रा लोन के जरिए करीब 13 करोड़ लोगों को लोन दिए गए हैं लेकिन उनमें से कितनों ने इसका इस्तेमाल नए उद्योग के लिए किया है इसका सही आंकड़ा सरकार के पास नहीं हैं. सरकार को चाहिए कि वो स्टार्ट-अप्स के लिए लोन लेना, नई इंडस्ट्री लगाना और आसान बनाए जिससे उनको भी इसका फायदा मिल सके.


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