नई दिल्ली: मोदी सरकार जल्द ही अपने इस कार्यकाल का अंतिम अंतरिम बजट पेश करने वाली है. आम चुनाव 2019 से पहले मोदी-सरकार के आखिरी बजट से एमएसएमई, कृषि, इन्फ्रा और एनर्जी जैसे हर सेक्टर की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं. एनर्जी सेक्टर खासकर पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है. सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायर में लाने पर रोक लगा रखी है, हालांकि अब तक इस क्षेत्र में कोई भी ठोस नहीं कार्यवाई नहीं हुई है.


भारत एनर्जी के क्षेत्र में भारतीय कच्चे तेल के अलावा अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. भारत में पेट्रोलियम की कीमतें लंबे वक्त से भारी भरकम टैक्स की वजह से बहस का विषय रही हैं. इसकी वजह से आम आदमी को हर बार पेट्रोल या डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का खामियाजा भुगतना पड़ता है. पिछले 5 साल में, भारत में तेल आयात 77 फीसदी से बढ़कर 82 फीसदी हो गया है, जो वर्तमान में अर्थव्यवस्था में लगभग 125 बिलियन डॉलर है.


दूसरी ओर भारत सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं पर भी ध्यान दे रहा है. कोयले से मिलने वाली ऊर्जा की कमी के कारण देश की बिजली उत्पादन क्षमता में एक तिहाई की कमी हो गई है. एनर्जी सेक्टर के एक्सपर्ट्स लंबे वक्त से पेट्रोलियम उत्पादों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स के दायरे में लाने की बात कह रहे हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है इससे आम आदमी को राहत मिलेगी. दूसरी और सरकारी नियमों में भी सुधार करने की आवश्यकता है. एनर्जी सेक्टर में सुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए न्यूनतम हस्तक्षेप होना चाहिए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक देरी और नियंत्रण पूरी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है.


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तीसरी बात, हालांकि बीजेपी सरकार ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के साथ-साथ इलेक्ट्रिक और बैटरी से चलने वाली कारों और मोटर वाहनों के निर्माण में एक लंबा रास्ता तय किया है, लेकिन अभी भी आयात में कटौती और देश में ही इनपुट सामग्री के निर्माण के लिए अधिक नवाचार की जरूरत है. ताकी लंबे वक्त में इन वस्तुओं को आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाया जा सके. फिलहाल भारत लगभग 85% इनपुट सामग्री और सोलर पैनल और स्टोरेज बैटरी जैसे उपकरण आयात करता है. इस वक्त भारत सरकार को घरेलू निर्माण को प्रोत्साहन देने की जरूरत है.