नई दिल्लीः कल संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के तौर पर अपना पहला बजट पेश करेंगी. इससे पहले आज संसद में आर्थिक सर्वे पेश किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे पेश करते हुए बताया कि भारत 2024-25 तक 5000 अरब डॉलर यानी 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए भारत को जीडीपी की वृद्धि दर को लगातार आठ फीसदी पर रखने की जरूरत होगी.


आर्थिक सर्वे का खाका देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने तैयार किया है. आज उन्होंने संसद में आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और इसमें इकोनॉमिक सर्वे की मुख्य बातों को पेश किया. इसमें उन्होंने अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कुछ मुख्य बिंदुओं पर विस्तार से बात की.


चीन की तरह बचत-निवेश और उत्पादन का साइकिल क्रिएट किया जाए
चीन ने जिस तरह से अपनी अर्थव्यवस्था को तेज गति दी है इसी तरह से भारत को भी निवेश में बढ़ोतरी करके देश की विकास की रफ्तार को बढ़ाना होगा. निवेश में बढ़ोतरी करने के लिए बचत को बढ़ाना होगा. देश में बचत बढ़ाई जाए-निवेश किया जाए और इस तरह से देश की उत्पादकता और एक्सपोर्ट्स में तेजी लाई जाए. चीन की जीडीपी का करीब 50 फीसदी इस समय बचत और निवेश से आ रहा है. ये क्रम 1980 के बाद से शुरू किया गया. इसी के बाद चीन के जीडीपी में एक्पोर्ट्स का हिस्सा बढ़ता जा रहा है. वहां इसी तरह का चक्र चल रहा है जिसमें पहले बचत हो रही है और फिर निवेश हो रहा है और उसके बाद देश की उत्पादकता बढ़ रही है.


सूक्ष्म और मध्यम कंपनियों के बारे में दोबारा सोचना/लेबर रिफॉर्म के बारे में सोचना
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने इसके अलावा सूक्ष्म और मध्यम कंपनियों (एमएसएमई) के बारे में कहा कि यहां 99 लोगों से कम के कर्मचारियों की फर्मों ने देश की कुल फर्मों में 83-84 फीसदी से ज्यादा हिस्सा अपना रखा है लेकिन इनको अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में देखा जाए तो ये कुछ नहीं है. ये फर्में देश की कुल फर्मों में इतना बड़ा हिस्सा रखने के बावजूद देश के रोजगार के लिए करीब सिर्फ 23 फीसदी योगदान देती हैं. स्मॉल फर्में देश के संगठित सेक्टर्स का बहुत बड़ा हिस्सा रखती हैं लेकिन जॉब क्रिेएशन के मामले में ये पीछे रह जाती हैं. हमें हमारी फर्मों को और अधिक प्रोडक्टिव बनाने की जरूरत हैं जैसा कि बड़ी फर्में कर रही हैं जिनका संगठित क्षेत्र में 16 फीसदी हिस्सा है लेकिन वो रोजगार के मोर्चे पर 77 फीसदी योगदान देती हैं. इसके अलावा वो वैल्यू एडीशन में भी बड़ी भागीदारी निभा रही हैं.


इसके लिए उन्होंने मैक्सिको की कंपनियों का उदाहरण दिया कि वो अपने शुरुआती दिनों की तुलना में करीब 7 गुना रोजगार के मौके बना रही हैं लेकिन भारत में छोटी कंपनियां अपने शुरुआती दिनों की तुलना में केवल 40 फीसदी रोजगार के मोर्चे बना रही हैं. इसके लिए भारत में राजस्थान का भी उदाहरण लिया जा सकता है कि वहां कुछ सालों पहले लेबर रिफॉर्म किए गए थे, इसके बाद वहां की 100 से कम कर्मचारियों वाली फर्मों ने रोजगार के मौके बनाने में 3 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक की बढ़त दिखाई जो कि काफी अच्छी कही जा सकती है. जैसा कि राजस्थान में हुआ है अधिक रोजगार सृजन के लिये ऐसी फर्मों के लिए लेबर रिफॉर्म को विनियमित करना जरूरी है.



सब्सिडी के मोर्चे पर लोगों को जिम्मेदारी समझनी होगी
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने एक और मुख्य कारक के बारे में बताया है कि जब देश को आजादी मिले हुए इतने साल हो गए हैं तो सब्सिडी के वास्तिवक लाभार्थियों के बारे में सोचा जाना चाहिए. लोगों को अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचना चाहिए कि क्या उन्हें वाकई में सब्सिडी की जरूरत है या नहीं? सब्सिडी की वास्तव में जिसे जरूरत है सिर्फ उसे ही मिलनी चाहिए और इसके लिए लोगों को आगे आकर सब्सिडी के बारे में सोचना चाहिए. गिव इट अप इसका एक अच्छा उदाहरण है जिसके जरिए लाखों लोगों ने अपनी सब्सिडी छोड़ी और इसके बाद नई योजनाओं के लिए सरकार को धन मिला. लोगों को इस समय सिर्फ अपने अधिकारों के बारे में नहीं बल्कि कर्तव्यों के बारे में भी सोचना चाहिए.


डेटा की शक्ति का इस्तेमाल करके लोगों का जीवन स्तर सुधारना होगा
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने उदाहरण देकर समझाया कि मान लीजिए एक महिला दूरदराज के गांवों में रहती है और उसके संबंधी को मेडिकल सहायता की जरूरत है वो अपने स्मार्टफोन पर आसपास के अस्पतालों के बारे में जान सकती है और उनकी सेवाओं के लिए अपने फोन से आग्रह कर सकती है. इसी तरह एक किसान को अपने स्मार्टफोन के जरिए लोन लेने की सारी सुविधा मिल सकती है. ये डेटा की शक्ति है और इसको ‘ऑफ द पीपुल, बाई द पीपुल, फॉर द पीपुल’ डाटा की परिकल्पना के तहत सोचा गया है.


कानून व्यवस्था/निचली अदालतों की क्षमता को बढ़ाया जाए
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि देश में लगभग 87.5 फीसदी मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में पेंडिंग हैं. समझौता लागू करने और मामलों के निपटारे और समाधान में देरी ही भारत में व्यापार को सरल बनाने और ऊंची जीडीपी प्रगति में एक सबसे बड़ी बाधा है. निचली अदालतों में 25 फीसदी, हाई कोर्ट्स में चार फीसदी और सुप्रीम कोर्ट में 18 फीसदी उत्पादकता सुधार से बैकलॉग खत्म किया जा सकता है. कानूनी मामलों को जल्द से जल्द सुलझाए जाने और निपटाए जाने की प्रेक्टिस अगर हम अपना अपना लेंगे तो इससे जीडीपी दर में भी अच्छा सुधार देखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है. 100 फीसदी निपटान दर निचली अदालतों में 2279 और हाई कोर्ट्स में 93 खाली पदों को भरने से ही हासिल की जा सकती है.

कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने इसके अलावा कहा कि अर्थव्यव्स्था को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने के लिए लगातार 8 फीसदी की दर से जीडीपी वृद्धि करना जरूरी है. निवेश इसके लिए मुख्य कारक रहेगा. डेटा को कैसे जनता के लिए इस्तेमाल करके उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है इस पर जोर रहेगा.


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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे में बताया, भारत कैसे बनेगा 5 ट्रिलियन इकोनॉमी

IIT और IIM में पढ़ चुके हैं मुख्य आर्थिक सलहाकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम, तैयार किया है आर्थिक सर्वेक्षण