नई दिल्ली: वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं. मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी साल होने के कारण इस बार का बजट आम बजट न होकर अंतरिम बजट होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार के बजट में सरकार अपनी छह प्रमुख 'कल्याणकारी योजनाओं' को 'प्रमुखता' देगी. इन योजनाओं के कार्यान्वयन को मोदी सरकार ने हमेशा से प्राथमिकता दी है. चालू वित्तीय वर्ष में इन योजनाओं के लिए लगभग 81,000 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया गया है.


मोदी सरकार की ये महत्वकांक्षी योजनाएं हैं: महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (पिछले बजट में 55,000 करोड़ रुपये), राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (9,975 करोड़ रुपये), अनुसूचित जाति का विकास (5,183 करोड़ रुपये), अल्पसंख्यकों का विकास (4,580 करोड़ रुपये), अनुसूचित जनजाति का विकास  (3,806 करोड़ रुपये) और अन्य कमजोर समूहों (2,287 करोड़ रुपये) का विकास.


केंद्र सरकार की इन छह सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में, ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) को दी जाने वाली कुल राशि में सबसे ज्यादा बढ़त की गई है. बता दें कि मनरेगा में 2016-17 और 2017-18 के बीच भी 12  फीसदी की वृद्धि की गई थी. वहीं अल्पसंख्यकों के विकास के लिए धनराशि आवंटन में 46 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि की गई. 1 फरवरी को वित्त मंत्री द्वारा पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में मनरेगा कार्यक्रम के लिए संशोधित अनुमानों को देखना दिलचस्प होगा.

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अल्पसंख्यकों के विकास के लिए आवंटन ने वास्तविक व्यय से 46 फीसदी की मात्रा में वृद्धि दर्ज की है. इस योजना में जहां 2016-17 में 2790 करोड़ रुपये वहीं वित्त वर्ष 2017-18 के 4075 करोड़ रुपये तय किए गए. ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अलावा, मोदी सरकार एससी / एसटी, अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर सामाजिक समूहों जैसे अन्य राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रमों के लिए तय की गई राशि में अच्छी खासी वृद्धि कर सकती है.


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