महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी स्कीम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme) के तहत कुल एक्टिव वर्कर्स की संख्या में गिरावट आई है. लिबटेक इंडिया के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर 2023 के दौरान 7.5 फीसदी कामगारों की संख्या कम हो चुकी है. पिछले फाइनेंशियल ईयर के इस अवधि में 15.49 करोड़ थी, जो घटकर 6 अक्टूबर 2023 तक 14.33 करोड़ हो चुका है. 


लिबटेक ने अप्रैल से सितंबर तिमाही के लिए ​फाइनेंशियल ईयर 2022-2023 और 2021-22 के डाटा को रीड किया है. यह आंकड़ा यूनियन रूरल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री की ओर से प्रोवाइड कराया गया है. इस स्कीम के तहत मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 80 लाख वर्कर्स काम कर रहे हैं. 


रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़े एमजीएनआरईजीएस वर्कफोर्स में एक महत्वपूर्ण कमी का संकेत देता है, इस गिरावट में योगदान देने वाले कारकों की पहचान करने और कार्यक्रम की भागीदारी को पुनर्जीवित करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया है. वहीं वर्कफोर्स कम हो रहा है, लेकिन योजना के तहत काम की मांग बढ़ रही है. 


श्रमिकों की संख्या घटी पर काम बढ़ा 


रिपोर्ट पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में व्यक्ति दिवस में 9 फीसदी की बढ़ोतरी को दिखाता है. 2022-23 में, अप्रैल से सितंबर तक, 172.24 करोड़ प्रति व्यक्ति दिवस था. इस वित्तीय वर्ष में इसी अवधि के दौरान 188 करोड़ दिन काम पैदा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्टिव जॉब कार्ड और श्रमिकों की संख्या में कमी के बाद दिखा है. 


इस राज्य में सबसे ज्यादा कम हुई संख्या 


रिपोर्ट में बताया गया है कि 14 राज्यों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि छह राज्यों में गिरावट आई है. पश्चिम बंगाल में 99.5 फीसदी की गिरावट आई है. यहां केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए योजना को निलंबित कर दिया है. 


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