फाइनेंशियल ईयर (FY23) का अंत नजदीक आने के साथ ही इनकम टैक्स बचाने (Income Tax Savings) की कवायद भी तेज हो गई है. अब करदाताओं (Taxpayers) के पास इनकम टैक्स बचाने के लिए 31 मार्च तक का ही समय बचा है. वैसे तो आयकर कानून की धारा 80सी (Income Tax Act Section 80C) टैक्स सेविंग का सबसे पॉप्युलर सेक्शन है, जिसके तहत, डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर डिडक्शन (Income Tax Deductions) का लाभ उठाकर टैक्स बचाया जा सकता है. हालांकि इसके अलावा भी टैक्स बचाने के कई विकल्प मौजूद हैं.


ऐसे लोगों के लिए अन्य विकल्प जरूरी


इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के अलावा अन्य विकल्पों को जानना काफी सारे लोगों के लिए जरूरी हो जाता है. दरअसल सेक्शन 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की कटौती की दी गई सीमा कई लोगों के मामले में सिर्फ ईपीएफ कंट्रीब्यूशन और इंश्योरेंस प्रीमियम से ही पूरी हो जाती है. ऐसे लोगों के पास टैक्स बचाने के और भी विकल्प हैं. ऐसे लोगों के लिए अन्य विकल्पों को जान लेना इस कारण भी जरूरी हो जाता है.


80सीसीडी के तहत ये फायदे


इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सीसीडी के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करने पर अतिरिक्त 50 हजार रुपये की छूट मिलती है, जो कि सेक्शन 80सी से अलग है. इसके अलावा, अगर आप घर खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं तो उसके ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इसी तरह होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर 1.50 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम करना संभव है.


80डी में मेडिक्लेम पर लाभ


आज के जमाने में हर किसी के लिए मेडिकल इंश्योरेंस लेना जरूरी हो गया है. ऐसे में सेक्शन 80डी में मेडिक्लेम की छूट दी गई है. अगर खुद के लिए मेडिक्लेम लेते हैं तो 25,000 रुपये की छूट मिलती है. अगर आप सीनियर सिटीजन हैं तो 50 हजार रुपये की छूट मिलती है. अगर आपके पैरेंट्स सीनियर सिटीजन हैं तो 50,000 रुपये की छूट अलग से मिलती है.


80टीटीबी के तहत ये छूट


बहुत से लोग बैंक में एफडी कराते हैं या सेविंग अकाउंट में पैसे रखते हैं. साधारण टैक्सपेयर्स के लिए बचत खाते पर प्रति वर्ष 10,000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री रहता है. वहीं, सेक्शन 80टीटीबी के जरिए सीनियर सिटीजन किसी वित्त वर्ष में कमाए गए कुल ब्याज में से 50,000 रुपये तक की छूट क्लेम कर सकते हैं. इसी तरह बच्चों के सेकेंडरी एजुकेशन के बाद की पढ़ाई के लिए जो एजुकेशन लोन लिया जाता है, उसके ब्याज पर सेक्शन 80ई के तहत टैक्स छूट मिलती है.