भारत अभी दुनिया के सबसे बड़े खुदरा बाजारों (Indian Retail Market) में से एक है. ई-कॉमर्स (E-Commerce) और ब्रांडेड रिटेल (Branded Retail) के उभार के बाद भारतीय खुदरा बाजार काफी तेजी से ग्रोथ कर रहा है. आने वाले कुछ साल के दौरान भारतीय खुदरा बाजार का आकार कई गुना बड़ा होने की उम्मीद है. इसका फायदा उठाने के लिए तमाम ग्लोबल रिटेलर ब्रांड भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहे हैं. अब इस सिलसिले में नया नाम जुड़ने वाला है अमेरिकी स्पोर्ट्सवियर व फूटवियर रिटेलर फूट लॉकर (Foot Locker) का.


जल्द हो सकती है डील


फूट लॉकर भारतीय बाजार में एंट्री करने के लिए मुंबई बेस्ड मेट्रो ब्रांड्स (Metro Brands) के साथ बातचीत कर रही है. फूट लॉकर जूते-चप्पलों के मामले में दुनिया के सबसे बड़े रिटेलर्स में से एक है. खबरों में बताया जा रहा है कि फूट लॉकर भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए कई कंपनियों के साथ बातचीत कर रही थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि मेट्रो ब्रांड्स के साथ डील तय होने वाली है.


अभी इन देशों में फूट लॉकर का कारोबार


फूट लॉकर और मेट्रो ब्रांड्स के बीच यह भागीदारी या तो फ्रेंचाइजी एग्रीमेंट या फिर ज्वाइंट वेंचर के रूप में हो सकता है. हालांकि अभी तक न तो अमेरिकी कंपनी फूट लॉकर ने और न ही भारतीय कंपनी मेट्रो ब्रांड्स ने इस संभावित सौदे को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी की है. फूट लॉकर अभी उत्तरी अमेरिका (North America), यूरोप (Europe), एशिया (Asia), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और न्यूजीलैंड (New Zeeland) जैसे बाजारों में मौजूद है. कंपनी 28 देशों में अभी 2,800 से ज्यादा रिटेल स्टोर चला रही है.


सबसे तेजी से उभर रहा बाजार


भारत की बात करें तो करीब 1.40 अरब लोगों की आबादी के साथ यह फूटवियर और स्पोर्ट्सवियर ब्रांडों के लिए सबसे तेजी से उभरते बाजारों में से एक है. देश में फिटनेस को लेकर बढ़ती जागरूकता और मांग में आती तेजी के चलते चुनिंदा स्पोर्ट्स ब्रांडों ने 2021-22 के दौरान भारत में 01 बिलियन डॉलर से ज्यादा की बिक्री की.


ऐसे बढ़ी इन ब्रांडों की बिक्री


पूमा (Puma), डीकैथलोन (Decathlon), एडिडास (Adidas), रीबॉक (Reebok), स्केचर्स (Skechers), नाइकी (Nike) और एसिक्स (Asics) जैसे ब्रांडों की बिक्री में सालाना आधार पर 30 फीसदी से 68 फीसदी तक की तेजी आई है. इन ब्रांडों की कुल मिलाकर बिक्री 2021-22 में 52 फीसदी बढ़कर 8,950 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो साल भर पहले यानी 2020-21 में 5,871 करोड़ रुपये थी.