Adani Group Stocks: हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में आई भारी गिरावट के बाद निचले लेवल से समूह के सभी स्टॉक्स उबरने की कोशिश में है. लेकिन म्यूचुअल फंड्स हाउसेज ने समूह की लिस्टेड कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचना बंद नहीं किया है. म्यूचुअल फंड्स ने अपने कुल 182 बिलियन डॉलर के एसेट्स में से मार्च 2023 तक केवल 0.9 फीसदी ही अडानी समूह के स्टॉक्स में निवेश किया हुआ है. 


ब्लूमबर्ग के डाटा के मुताबिक 2022-23 की तीसरी तिमाही 31 दिसंबर को खत्म होने पर म्यूचुअल फंड्स के पास समूह के 2 फीसदी शेयर्स थे जो अब घटकर 0.9 फीसदी रह गया है.   हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के स्टॉक्स के मार्केट कैप में 153 बिलियन डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी. अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. रिपोर्ट के सामने आने के बाद से अडानी समूह के कैपिटल एक्सपेंडिचर में कटौती करनी पड़ी है. तो कंपनी के प्रमोटर के शेयर के बदले लिए कर्ज को चुकाना पड़ा है जिससे निवेशकों के भरोसे को जीता जा सके. 


म्यूचुअल फंड्स जहां अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों में निवेश को लेकर बेहद सतर्क हैं . लेकिन समूह ने ब्लॉक डील में अडानी समूह ने चार कंपनियों के शेयर बेचकर कुल 15,446 करोड़ रुपये जुटाये हैं. कंपनी ने ये शेयर अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स (GQG Partners) के राजीव जैन ने खरीदे हैं. समूह की चार सब्सिडियरी कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी इंटरप्राइजेज के 15446 करोड़ रुपये के शेयर्स ब्लॉक डील में जीक्यूजी पार्टनर्स को बेचे हैं. जीक्यूजी पार्टनर्स के हिस्सेदारी खऱीदने के बाद अडानी समूह के मार्केट कैप में 30 बिलियन डॉलर का उछल देखने को मिला है. रिटेल निवेशकों ने संकट के बावजूद अडानी समूह के शेयर खरीदें हैं. डाटा के मुताबिक रिटेल निवेशकों ने  वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड 10 अडानी कंपनियों में से 8 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. 


भारतीय म्यूचुअल फंड्स ने अडानी समूह के शेयरों से जहां दूरी बनाकर रखा हुआ है. नूवामा वेल्थ मैनेजमेंट के डाटा के मुताबिक Mirae इंवेस्टमेंट मैनेजर्स और एचएसबीसी एसेट मैनेजमेंट ने मार्च महीने में समूह की कंपनियों में निवेश किया है. समूह की दो कंपनियों के 7 लाख शेयर्स दोनों वित्तीय संस्थानों ने खरीदे हैं. 


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