देश के प्रधानमंत्री (Prime Minister) को हर वक़्त अति विशिष्ट सुरक्षा कवच में रखने के मकसद से बनाये गए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी (SPG) को 34 बरस हो गए हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पीएम (PM) के काफिले को रोकने और उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर किया हो. ये सुरक्षा की भयंकर व अभूतपूर्व चूक होने के साथ ही देश के संघीय ढांचे की मर्यादा के उल्लघंन का मामला तो है ही लेकिन उससे भी बड़ी चिंता का विषय ये है कि अगर एक बार ऐसी चूक हो सकती है, तो आखिर इसकी क्या गारंटी है कि अगली बार पीएम की सुरक्षा में कोई सेंध नहीं लग सकती.


लिहाज़ा सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को पीएम की सुरक्षा को और अधिक सख़्त बनाना होगा,ताकि किसी भी वजह से दोबारा ऐसी नौबत न आने पाये.हालांकि फ़िलहाल पीएम की सुरक्षा चार स्तरीय होती है जिसमें एसपीजी,एनएसजी कमांडों,स्पेशल पुलिस फ़ोर्स और फिर लोकल पुलिस की जिम्मेदारियां बंटी हुई हैं.


लेकिन, आज पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुई इस चूक को लेकर एक सवाल ये भी उठ रहा है कि अगर पीएम की जान को खतरा बन आया था, तब एसपीजी के सुरक्षाकर्मियों ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करने से आखिर परहेज़ क्यों किया और 15-20 मिनट तक इंतजार करने की नौबत क्यों झेलनी पड़ी.


एसपीजी की 'ब्लू बुक' में सुरक्षाकर्मियों को 'शूट एट साइट' का अधिकार मिला हुआ है कि पीएम के लिए किसी भी तरह के खतरे का अहसास होते ही वे संदिग्ध व्यक्ति पर गोली चला सकते हैं. इसके लिए उन्हें पीएम या किसी अन्य से इजाजत लेने की जरुरत नहीं होती. लिहाजा, कहा जा रहा है कि पीएम के काफ़िले को रोकने वाले प्रदर्शनकारी किसानों को तीतर-बितर करने के लिये अगर वे चाहते तो हवा में भी गोली चलाकर काफिले को सुरक्षित निकाल सकते थे.


हालांकि, सुरक्षा चूक जैसे अति गंभीर व बेहद संवेदनशील मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप की सियासत भी गरमा गई है और इसे लेकर केंद्र व पंजाब सरकार के बीच तल्खी बढ़ना भी स्वाभाविक है.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसके साफ संकेत दे दिए हैं.


शाह ने कहा है कि इस तरह की लापरवाही पूरी तरह से अस्वीकार्य है और जवाबदेही तय की जाएगी. देर शाम उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस मामले में पंजाब में हुई सुरक्षा चूक को लेकर गृह मंत्रालय ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. अमित शाह ने लिखा, ''पंजाब में आज हुई कांग्रेस-निर्मित घटना इस बात का ट्रेलर है कि यह पार्टी कैसे सोचती और काम करती है. लोगों द्वारा कांग्रेस को बार-बार नकारे जाने से यह पार्टी उन्माद के रास्ते पर चली गई है. कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को भारत के लोगों से अपने किए के लिए माफी मांगनी चाहिए.''


बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर हार के डर से पीएम मोदी की रैली को विफल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि "प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री जी के रास्ते में जाने दिया गया और उनकी सुरक्षा से समझौता किया गया, जबकि पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी ने एसपीजी को आश्वासन दिया था कि रास्ता पूरी तरह से साफ है." उन्होंने लिखा, "पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने फोन पर बात करने या इस मामले का समाधान करने से इनकार कर दिया.


वहीं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर हमले का मोर्चा संभालते हुए इस घटना को साजिश करार दिया है और दावा किया कि कांग्रेस के खूनी इरादे नाकाम रहे. उन्होंने पंजाब की कांग्रेस सरकार से सवाल किया कि राज्य की पुलिस ने क्या जानबूझकर प्रधानमंत्री के सुरक्षा दस्ते को झूठा आश्वासन दिया, कैसे प्रदर्शनकारी उनके काफिले तक पहुंचे और जब सुरक्षाकर्मियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क साधने की कोशिश की तो क्यों कोई संवाद नहीं किया गया?


हालांकि, बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पलटवार किया है.उन्होंने दावा किया कि रैली में कम भीड़ आई इसलिए रैली रद्द हुई. सुरजेवाला ने कई ट्वीट किए. उन्होंने अपने ट्वीट में रैली स्थल का एक वीडियो साझा किया और दावा किया कि, "प्रिय नड्डा जी, रैली रद्द होने का कारण खाली कुर्सियां रहीं. यकीन न हो तो, देख लीजिए. और हां, बेतुकी बयानबाज़ी नहीं, किसान विरोधी मानसिकता का सच स्वीकार कीजिए और आत्म मंथन कीजिए. पंजाब के लोगों ने रैली से दूरी बनाकर अहंकारी सत्ता को आईना दिखा दिया है."


पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सफाई दी है कि पीएम मोदी को लौटकर जाना पड़ा इसके लिए हमें खेद है. उन्होंने बताया कि रात को प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटा दिया गया था. चन्नी ने कहा कि हम अपने पीएम का सम्मान करते है. उनकी सुरक्षा में किसी भी तरह की कोई चूक नहीं हुई और न ही हमले जैसी कोई स्थिति थी.


वैसे सियासत अपनी जगह है लेकिन केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस घटना को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक करार दिया है. मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और यात्रा की योजना के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गई थी.


लेकिन इस पूरे घटनाक्रम का सबसे अहम मोड़ यही था कि पीएम मोदी जब रैली रद्द होने के बाद बठिंडा के एयरपोर्ट पर लौटे तो उन्होंने एयरपोर्ट पर अधिकारियों से कहा कि "अपने सीएम (चरणजीत सिंह चन्नी) को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया." पीएम मोदी का ये एक वाक्य ही पंजाब की पूरी चुनावी-सियासत को बदलने का सबसे कारगर राजनीतिक औजार बने, तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए.


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