इंग्लैंड की टीम पर इस वक्त दुनिया भर की नजर है. पिछले दो-ढाई हफ्ते में इंग्लैंड के क्रिकेट में काफी कुछ हुआ है. 14 जुलाई को इंग्लैंड की टीम विश्व कप के इतिहास में पहली बार विश्वविजेता बनी. लॉर्ड्स के मैदान में उसने एक बेहद नाटकीय और विवादास्पद फैसले के बीच न्यूज़ीलैंड को हराकर विश्व कप जीता. विश्व कप के फाइनल में सुपर ओवर में भी नतीजे के ना आने पर इंग्लैंड को ज्यादा बाउंड्री लगाने की वजह से चैंपियन घोषित किया गया था.


इसके बाद विश्व चैंपियन बने अभी 10 ही दिन बीते थे कि लॉर्ड्स के मैदान में उसे आयरलैंड जैसी कमजोर टीम के सामने धूल चाटनी पड़ी. वो तो आयरलैंड की टीम की अनुभवहीनता आड़े आ गई वरना जिस लॉर्ड्स में इंग्लैंड विश्व चैंपियन बनी थी उसी लॉर्ड्स में उसकी किरकिरी होने वाली थी. आयरलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में इंग्लैंड की टीम पहली पारी में सिर्फ 85 रन पर सिमट गई थी. इंग्लैंड के बल्लेबाज पहली पारी में सिर्फ 23.4 ओवर ही खेल पाए. अब उसी इंग्लैंड की टीम को 1 अगस्त से एशेज सीरीज में उतरना है.


अगले करीब डेढ़ महीने तक इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमों के खिलाड़ी इस प्रतिष्ठित सीरीज में पसीना बहाते नजर आएंगे. आपको बता दें कि इस बार एशेज सीरीज इंग्लैंड में हो रही है . ऑस्ट्रेलिया की टीम मौजूदा एशेज चैंपियन है. इंग्लैंड में ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार 2001 में एशेज सीरीज जीती थी. आपको ये भी बता दें कि अब तक दोनों देशों के बीच 70 एशेज सीरीज हुई है, जिसमें 33 बार ऑस्ट्रेलिया और 32 बार इंग्लैंड जीता है.


किस तरह के मुकाबले की उम्मीद


आईसीसी टेस्ट रैंकिंग्स में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया बिल्कुल करीब की टीमें हैं. इंग्लैंड की टीम फिलहाल चौथे और ऑस्ट्रेलिया पांचवे नंबर पर है. एशेज सीरीज का इतिहास बताता है कि दोनों टीमों में हमेशा कांटे की टक्कर रही है. एशेज सीरीज की टक्कर कुछ ऐसी है कि दोनों देशों का मीडिया भी आपस में भिड़ा रहता है. इंग्लिश मीडिया का एक मशहूर शीर्षक बड़ा चर्चा में रहा है- दिस टीम हैज ऑनली थ्री प्रॉब्लम्स. दे कान्ट बैट, दे कान्ट बॉल एंड दे कांट फील्ड. खैर,एक वक्त था जब दुनिया भर के क्रिकेट फैंस को या तो भारत-पाकिस्तान के मैचों का इंतजार रहता था या फिर एशेज में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया का. 2004 के बाद भारत-पाकिस्तान के मैचों का मजा कम होने लगा. इसकी वजह ये थी कि पाकिस्तान की क्रिकेट का स्तर खराब होता चला गया. 2009 में पाकिस्तान में श्रीलंका की टीम पर जो हमला हुआ उसके बाद वहां जाकर क्रिकेट खेलने का बड़ी टीमों ने बहिष्कार कर दिया. ऐसे में वहां क्रिकेट की असमय मौत हो रही है. क्रिकेट के असली शौकीन का फोकस अब एशेज सीरीज पर है.


कौन से खिलाड़ी करेंगे सीरीज का फैसला


इस सीरीज में इंग्लैंड के लिए जेम्स एंडरसन की भूमिका काफी अहम होगी. जेम्स एंडरसन इंग्लैंड के सबसे अनुभवी गेंदबाज हैं. 37 साल के एंडरसन ने 148 टेस्ट मैचों में 26.93 की औसत से 575 विकेट लिए हैं. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाज ग्लेन मैग्रा ने भी कहा है कि-ड्यूक गेंदों से घरेलू पिच पर एंडरसन दुनिया में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज है. अगर वो फिट हैं और फार्म में रहते हैं तो आस्ट्रेलिया के लिए बहुत मुश्किल होगी.


एंडरसन के अलावा स्टुअर्ट ब्रॉड दूसरे ऐसे गेंदबाज हैं जो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का कड़ा इम्तिहान लेंगे. अनुभवी स्टुअर्ट ब्रॉड भी टेस्ट क्रिकेट में साढ़े चार सौ के करीब विकेट लिए हैं. इन दोनों तेज गेंदबाजों के अलावा जोफ्रा आर्चर को भी एशेज सीरीज के लिए टीम में जगह दी गई है. जोफ्रा आर्चर ने लिमिटेड ओवर्स में खुद को साबित किया है. इंग्लैंड में बल्लेबाजी की बागडोर कप्तान जो रूट को संभालनी होगी.


ऑस्ट्रेलियाई टीम के आंकलन की शुरूआत उसकी बल्लेबाजी से करनी होगी. उनके पास डेविड वॉर्नर, स्टीवन स्मिथ, टिम पेन और उस्मान ख्वाजा को संभालनी है. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी में मिचेल स्टार्क, पैट कमिंग्स जैसे नाम हैं. लेकिन जिस खिलाड़ी पर सबसे ज्यादा नजर रहेगी वो हैं पीटर सिडल. पीटर सिडल ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि 2015 में उन्हें लगा था कि उनका करियर खत्म हो गया है. लेकिन सेलेक्टर्स ने उन पर एक बार फिर भरोसा किया है. पीटर सिडल का अनुभव इस सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को एक नई ऊर्जा दे सकता है.