Bihar Politics:  महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासी ड्रामे बीच बिहार (Bihar) में बड़ा खेल हो गया है और वहां भी जल्द ही तख्तापलट होने के आसार दिख रहे हैं. खुद को मुस्लिमों के सबसे बड़े पैरोकार के बतौर पेश करने वाले असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (AIMIM) टूट गई है. उसके पांच में से चार विधायकों ने आरजेडी (RJD) का दामन थामकर ओवैसी को बड़ा झटका दे दिया है.


राष्ट्रपति चुनाव से पहले तेजस्वी यादव के इस सियासी चौके ने पटना से लेकर दिल्ली तक उथल-पुथल मचा दी है. अब आरजेडी 80 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. लेकिन बिहार के सिंहासन को दोबारा हासिल करने के लिए तेजस्वी यादव को अब महज़ 6 विधायकों की जरुरत है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पर्दे के पीछे से जो खेल हो रहा है, उसे देखते हुए आरजेडी इसका जुगाड़ भी कर ही लेगी. इन चार विधायकों के आने से महागठबंधन के अब 116 विधायक हो गए हैं, जबकि सत्ता पाने का जादुई आंकड़ा 122 है.


अपनी पार्टी छोड़ विधायकों ने विपक्षी दल का दामन थामा
लोकतंत्र में विधायकों का दल बदलना कोई नई बात नहीं है लेकिन इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी पार्टी के दो तिहाई विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़कर मुख्य विपक्षी दल का दामन थामा है.


आमतौर पर दल बदलने वाले विधायक सत्ता पक्ष के साथ ही जाते हैं क्योंकि इसके बदले में उन्हें सत्ता सुख हासिल होता है. लेकिन ओवैसी के इन चार विधायकों ने आरजेडी के साथ जाकर राजनीति में एक नई परंपरा की शुरुआत की है. जाहिर है कि आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन की सरकार बनने पर इन्हें मंत्री बनाने का वादा किया ही गया होगा क्योंकि राजनीति में बगैर किसी स्वार्थ के कोई इतना बड़ा फैसला यों ही नहीं लेता. लेकिन इन विधायकों के सियासी फैसले की दाद इसलिए देनी चाहिए कि उन्होंने एक बड़ा जोखिम उठाया है क्योंकि आरजेडी फिलहाल तो विपक्ष में है. आगे तेजस्वी यादव 6 और विधायकों का जुगाड़ करके सरकार बनाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं, ये फ़िलहाल कोई नहीं जानता.


लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पुख्ता तौर पर यकीन होने के बाद ही इन विधायकों ने पाला बदला है कि नीतीश सरकार के दिन गिनती के ही बचे हैं और महागठबंधन की सरकार बनना लगभग तय है. अब बड़ा सवाल ये है कि बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए तेजस्वी यादव इसी तरह से छोटी पार्टियों के 6 और विधायक तोड़ेंगे या फिर सत्ता पाने के लिए पर्दे के पीछे से किसी और बड़ी सौदेबाजी को अंजाम दिया जा रहा है?  ये सवाल उठने की बड़ी वजह ये है कि इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया ट्विस्ट आ गया है.


क्या नीतीश छोड़ना चाहते हैं एनडीए
सियासी हवा में ये सवाल भी तैर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) एनडीए से अपना पिंड छुड़ाकर अब महागठबंधन के साथ आना चाहते हैं? पुराने फार्मूले की तर्ज़ पर ही वे तेजस्वी को उप मुख्यमंत्री और गठबंधन में शामिल अन्य नेताओं को प्रमुख विभागों का मंत्री बनाकर अपनी सरकार के बाकी बचे कार्यकाल को सुरक्षित करना चाहते हैं?


अभी तो खेल शुरू हुआ है
दरअसल,पिछले दिनों ही जेडीयू बाहर किए गए पार्टी प्रवक्ता रहे अजय आलोक (Ajay Alok) ने ट्वीट करके इशारा दिया है कि अभी तो खेल शुरू हुआ है. उनके मुताबिक इसका कंट्रोलिंग कहीं और है लेकिन ये नहीं बताया कि वह सिर्फ पटना तक ही सीमित है या फिर 'दिल्ली दरबार' उसका केंद्र है. इसलिए कि अगर ऐसा हुआ,तो फिर तो पूरा मामला ही उलट जाएगा क्योंकि बिहार बीजेपी (BJP) के नेता भी तो नीतीश से मुक्ति पाने के लिए बेताब हैं. बहरहाल,उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि "वैसे पहली बार भारतीय लोकतंत्र (Indian Democracy) के इतिहास में ओवैसी की पार्टी के विधायक टूटकर मुख्य विपक्षी दल में गए, सबसे बड़ी पार्टी RJD सदन में बन गई, खेल अभी शुरू हुआ है क्योंकि संचालन कहीं और से हो रहा हैं, RJD को बधाई."


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)