ये विश्व कप का फाइनल नहीं था, चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल भी नहीं था लेकिन फाइनल, फाइनल होता है. उसका दबाव, उसकी गणित अलग होती है. ये दबाव ही था कि आखिरी 3 ओवर में 35 रन का आसान सा दिखता लक्ष्य अचानक आखिरी 2 ओवर में 34 रन में तब्दील हो गया. इसके बाद मैदान में ‘एंट्री’ हुई एक ऐसे खिलाड़ी कि जो टीम इंडिया का सबसे अनुभवी खिलाड़ी है.


दिनेश कार्तिक का वनडे और टेस्ट करियर 2004 में शुरू हुआ था. रोहित शर्मा, शिखर धवन या सुरेश रैना से काफी पहले. ये संयोग ही है कि दिनेश कार्तिक उस मैच के भी गवाह रहे हैं जब बांग्लादेश ने 2007 में वेस्टइंडीज में खेले गए वर्ल्ड कप में भारत को शर्मनाक हार दी थी. जिसके बाद टीम इंडिया को टूर्नामेंट से पहले ही राउंड में बाहर होना पड़ा था. भारतीय क्रिकेट में वो भूचाल का दौर था.

खैर, ये दिनेश कार्तिक का अनुभव ही था कि उन्होंने 19वें ओवर में अपने ‘इमोशन’ को ‘कंट्रोल’ किया और एक के बाद एक क्लीन शॉट खेलकर 22 रन बटोरे. अब भारतीय टीम को आखिरी ओवर में 12 रन चाहिए. ‘क्लाईमैक्स’ अभी इतनी जल्दी नहीं आने वाला था, वो ‘क्लाईमैक्स’ आया मैच की आखिरी गेंद पर, जब भारत को जीत के लिए 5 रन चाहिए थे. वो दिनेश कार्तिक ही थे जिन्होंने कवर के ऊपर से आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर टीम को करिश्माई जीत दिला दी.

टीम इंडिया के पसंदीदा ‘रिजर्व प्लेयर’ का टैग  
दिनेश कार्तिक ने रविवार को खेले गए फाइनल मैच में सिर्फ 8 गेंद पर 29 रन बनाए. इसमें 3 छक्के शामिल थे. उनका स्ट्राइक रेट 360 से भी ज्यादा का था. उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया. इस जीत के बाद दिनेश कार्तिक ने टीम में नियमित मौका ना मिलने की बात भी कही. दरअसल उनका दर्द इस बात से है कि पिछले 14 साल से टीम का हिस्सा होने के बाद भी वो लगातार प्लेइंग-11 में शामिल नहीं हो पाते. उनके इस दर्द के साथ साथ सच ये भी है कि वो पिछले एक दशक से भारतीय टीम के पसंदीदा ‘रिजर्व’ खिलाड़ी हैं.

आप पिछले एक दशक की खबरों का आंकलन कर लीजिए. आप पाएंगे कि अगर भारतीय टीम के नियमित विकेटकीपर को चोट लग गई हो तो दिनेश कार्तिक को बुलाया गया है. भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाजों में से कोई अनफिट हो गया हो चयनकर्ताओं ने दिनेश कार्तिक को मौका दिया है. यहां तक कि अगर कोई मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज भी चोट की वजह से बाहर हुआ है तो फ्लाइट पकड़ने का मौका दिनेश कार्तिक को ही मिला है. यहां तक कि एक वक्त ऐसा था जब ये कहा जाने लगा था कि बोर्ड की इस पसंद के पीछे ताकतवर एन श्रीनिवासन का हाथ है. अब एन श्रीनिवासन नहीं हैं इसलिए ये बात नहीं कही जा सकती है.

रोहित शर्मा की कप्तानी पर भी होनी चाहिए चर्चा  
ट्राएंगुलर सीरीज में मिली जीत में रोहित शर्मा की कप्तानी पर भी चर्चा होनी चाहिए. अव्वल तो आखिरी दो मैचों में उन्होंने फॉर्म में वापसी की, जिससे उन्होंने तो राहत की सांस ली ही होगी, आईपीएल में उनकी फ्रेंचाइजी को भी चैन आया होगा. इस टूर्नामेंट के बाद भारतीय टीम के खिलाड़ी अपनी अपनी फ्रेंचाइजी के लिए आईपीएल के मैदान में पसीना बहाएंगे. रविवार को खेले गए फाइनल मैच में रोहित शर्मा की कप्तानी की भी तारीफ हुई. चर्चा इस बात को लेकर थी कि उन्होंने गेंदबाजों का ‘रोटेशन’ बहुत सोच समझ के साथ किया.

इसके अलावा उन्होंने ‘फील्डिंग प्लेसमेंट’ बहुत तार्कित ढंग से की. कमेंट्री में इस बात पर चर्चा हो रही थी कि रोहित शर्मा ने मैदान के किस हिस्से में किस फील्डर को लगाने का फायदा होगा इसका भी गणित तैयार किया हुआ था. रविवार को भारत को मिली जीत में फील्डिंग का रोल भी अहम रहा. बतौर कप्तान रोहित शर्मा के आंकड़े भी शानदार हैं. उन्होंने अब तक 9 टी-20 मैचों में भारत की कप्तानी की है, जिसमें से 8 मैच भारत ने जीते हैं. आईपीएल में उनकी कप्तानी के रिकॉर्ड्स का हर कोई लोहा मानता ही है.