अभी कुछ ही दिन पहले चंपारण के चनपटिया में और अब लखीसराय में गृह मंत्री अमित शाह का आगमन राजनीतिक तौर पर इस वक्त भाजपा के लिए बिहार की अहमियत जता रहा है. 2019 के चुनाव में जद (यू) के साथ चुनाव लड़ते हुए भाजपा आने 40 में से 39 सीटें जीत ली थी और यूपी में भी भाजपा के जबरदस्त प्रदर्शन ने उसे 300 का आंकड़ा पार करने में मदद की थी. यानी, यही दो राज्य हैं जो अकेले भाजपा को सत्ता में आने की सहूलियत दे देते हैं. लेकिन, 23 जून को पटना में विपक्ष के महाजुटान के बाद से हवा थोड़ी बदली-बदली लग रही है. देश की राजनीति में भी अचानक नए और संवेदनशील मुद्दे उभरा कर सामने आने लगे है, मसलन यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड, तो प्रधानमंत्री भी अब इस पर खुल कर बोलने लगे हैं. वहीं, बिहार पर गृह मंत्री अमित शाह भी अब विशेष ध्यान देने लगे हैं.

विपक्षी एका से डर गयी भाजपा?

कहने को अमित शाह की यह रैली भाजपा सरकार के 9 साल पूरे होने के अवसर पर केंद्र सरकार के कार्यों का प्रचार करने को ले कर थी, लेकिन इस रैली का तेवर यही बता रहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव की जंग कैसे लड़ी जाएगी. नीतीश कुमार से ले कर राहुल गांधी तक को जिस तरह से अमित शाह ने निशाने पर लिया वह बताता है कि पटना में आयोजित महाविपक्ष के जुटान से भाजपा को अब अपनी रणनीति पर काफी गंभीरता से सोचने और काम करने की जरूरत हो गयी है. 40 में से 39 सीटें मिलना आसां नहीं होता. यही वो संख्या है जिसकी वजह से भाजपा ने आराम से 300 का आंकड़ा पार कर लिया था. यह संख्या घटे नहीं,  इसके लिए भाजपा को कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी.  भाजपा मेहनत से कभी पीछे नहीं हटती. खुद अमित शाह जिस तेज गति से बिहार का दौरा कर रहे हैं, उससे बिहार की अहमियत का भी पता चल रहा है. 

महत्वपूर्ण है मुंगेर लोकसभा

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29 जून को बिहार के लखीसराय पहुंचे और यहाँ भी उन्होंने विपक्ष पर जोरदार हमला करते हुए 370 हटाने और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी बातों की चर्चा की. बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और लखीसराय के विधायक विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया कि आज वहां के स्थानीय सांसद (मुंगेर के सांसद ललन सिंह) आरजेडी की गोद में बैठे हैं. गौरतलब है कि मुंगेर लोकसभा सीट से अभी जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह सांसद हैं. ललन सिंह ने दो बार यह सीट जीती है और बीजेपी दोनों बार उनकी पार्टी की सहयोगी रही है. 2014 में सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर यह सीट हासिल की थी. जाहिर है, भाजपा की नजर इस बार इस सीट पर भी होगी. यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लखीसराय स्थित नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा के आवास पर मुंगेर, जमुई और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के कोर ग्रुप की बैठक की और 2024 चुनाव की रणनीति पर चर्चा की.

नीतीश-राहुल पर निशाना

केन्द्रीय गृह मन्त्री ने 27 मिनट के अपने भाषण में 8 बार नीतीश कुमार का नाम लिया. शाह ने नीतीश कुमार को पलटूराम बताया और कहा कि जिस शख्स ने इंदिरा गांधी और लालू यादव के खिलाफ राजनीति की आज वे फिर से कांग्रेस और आरजेडी के पास चले गए हैं. शाह ने कहा कि नीतीश प्रधानमंत्री नहीं बन रहे हैं बल्कि लालू यादव को मूर्ख बना रहे हैं. नीतीश मुख्यमंत्री ही बने रहना चाहते हैं. 10 महीने में पांचवें बिहार दौरे पर आए अमित शाह ने नरेंद्र मोदी सरकार के देश और बिहार में नौ साल के बड़े काम गिनाए. दूसरी तरफ जद(यू) ने भी शाह से 12 सवाल पूछ कर निशाना साधने की कोशिश की जिसमें एक अहम सवाल ये था कि पटना विश्वविद्यालय को सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा कब दिया जाएगा. वहीं, शाह ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस 20 साल से उनकी लॉन्चिंग की कोशिश कर रही है, लेकिन फेल हुई. जो लोग सत्ता के लिए लालू और कांग्रेस के साथ जा रहे हैं उन्हीं के कारण गुंडाराज, बालू एवं शराब माफिया का राज बढ़ रहा है. दूसरी ओर, मोदी के नेतृत्व में एनडीए एकजुट होकर जनता के साथ है. 2024 में जनता को तय करना है कि 20 बार फेल लॉन्चिंग वाले राहुल गांधी चाहिए या नरेंद्र मोदी चाहिए.

जिस तरह अमित शाह ने बिहार पहुंचकर नीतीश सहित राहुल को निशाने पर लिया, उसने प्रधानमंत्री के भोपाल वाले भाषण की भी याद दिलाई, जहां एक-एक कर प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक घरानों के शीर्षस्थ और उनके वारिसों का नाम लेकर हल्ला बोला था. तेजस्वी के ऊपर भी कई मुकदमे चल रहे हैं, तो कुछ समय से उनकी भाषा में भी संयम दिकाई दे रहा है. वहीं, अमित शाह ने बिहार के इस दौरे से साफ कर दिया कि बिहार में जातीय जनगणना की काट के लिए यूसीसी का दांव खेला जाएगा और प्रधानमंत्री ने जो टोन चुनाव का सेट कर दिया है, वही आगे भी मेंटेन रखा जाएगा. 

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