Automotive Industry Summit: सरकार ने सोमवार को जानकारी दी है कि 2030 तक भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंचने की ओर बढ़ रहा है. 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई जैसी विभिन्न योजनाएं ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स के लिए इस क्षेत्र की बढ़ोतरी का समर्थन कर रही है. भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव-ऑटो स्कीम के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए मंगलवार को एक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. इस बैठक की अध्यक्षता भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे करेंगे. मंत्रालय ने कहा है, "एमएचआई ऑटोमोटिव उद्योग के पीएलआई-ऑटो आवेदकों को योजना के महत्वपूर्ण हितधारकों में से एक मानता है." इस आयोजन में इस योजना के माध्यम से उपलब्ध अवसरों को समझने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.


तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोटिव उद्योग होगा भारत 


एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, एमएचआई ऑटोमोटिव उद्योग के पीएलआई-ऑटो आवेदकों को महत्वपूर्ण हितधारकों में से एक मानता है. बैठक में जिन स्टेकहोल्डर्स के उपस्थित रहने की उम्मीद है उनमें पीएलआई-ऑटो एप्लीकेंट, टेस्टिंग एजेंसियां आदि शामिल हैं, जो अपने नॉलेज और एक्सपीरियंस को शेयर करेंगे और इसमें आने वाली चुनौतियों का समाधान करेंगे. "इन योजनाओं के व्यापक प्रभाव से ऑटोमोटिव उद्योग का विकास होगा और ऐसा अनुमान है कि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग 2030 तक दुनिया में तीसरे नंबर पर होगा.


ऑटोमोटिव उद्योग को दोगुना करने का है लक्ष्य


इस बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि देश के अंदर एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) प्रोडक्ट्स के लोकलाइजेशन और डेवलपमेंट के लक्ष्य को ऑटोमोटिव उद्योग के समर्थन और विकास के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है. भारत में ऑटोमोटिव उद्योग, देश की इकोनॉमी के मुख्य स्तंभों में से एक है. एक मजबूत बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के साथ, इसका देश के  विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान है. राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इस उद्योग का योगदान 1992-93 में 2.77% से बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में लगभग 7.1% हो गया है. इस उद्योग से 19 मिलियन से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार जुड़ा हुआ है. भारत में ऑटोमोबाइल बाजार में, 2021-22 के दौरान दोपहिया वाहनों और यात्री कारों की बाजार हिस्सेदारी क्रमशः 77% और 18% थी. यात्री कारों की बिक्री में फिलहाल छोटी और मध्यम आकार की कारों का दबदबा है. भारत का लक्ष्य वर्ष 2024 के अंत तक अपने ऑटो उद्योग का आकार दोगुना यानि 15 लाख करोड़ रुपये करना है. अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 तक उद्योग में 33.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई फ्लो हुआ है, जो इसी दौरान भारत में कुल एफडीआई फ्लो का लगभग 5.48% है.


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