Varuthini Ekadashi 2024: साल के हर महीने में दो एकादशियां आती हैं. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी को समस्त पापों का नाश करने वाली एकादशी माना जाता है. 


इस दिन भगवान विष्णु और कृष्ण भगवान के मधुसूदन रूप की पूजा की जाती है. इस दिन विष्णु भगवान के वराह अवतार की भी उपासना की जाती है. इस बार वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई, शनिवार के दिन रखा जाएगा. एकादशी के दिन के कुछ खास नियम होते हैं. जानते हैं कि इस दिन चावल क्यों नहीं खाया जाता है. 


एकादशी के दिन क्यों नहीं खाते हैं चावल (Reason Behind Not Eating Rice On Ekadashi)


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. इस दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाना मांस खाने के समान माना जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है.


पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां भागवती के क्रोध से भागते-भागते महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था. इसके बाद उनके शरीर के अंश धरती में समा गए थे. माना जाता है कि उन अंशों के धरती में समाने की वजह से धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि चावल को पौधा नहीं बल्कि जीव माना जाता है.


माना जाता है कि जिस दिन महर्षि मेधा ने शरीर त्यागा था, उस दिन एकादशी थी. इसलिए ही एकादशी के दिन चावल खाना निषेध मना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा का रक्त और मांस खाने के बराबर है. इस दिन चावल खाने से पाप लगता है और व्यक्ति अगले जन्म में सर्प के रूप में जन्म लेता है.


एकादशी के दिन चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण (Scientific Reason Behind Avoiding Rice On Ekadashi)


एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. इसके अनुसार, चावल में जल की मात्रा अधिक होती है और जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित होता है.  मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित माना जाता है.


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