Shani Dev Puja: हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है. वे लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. अच्छे कर्मों पर आशीर्वाद और बुरे कर्मों पर दंड. इसलिए सूर्य देव के पुत्र शनि देव को कर्मों के फलदाता मानते हैं. इनकी कृपा पाने से व्यक्ति का जीवन बदल सकता है.
किस समय करें शनि देव की पूजा
शनिवार का दिन शनि महाराज को समर्पित है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव का संबंध सांध्यकाल यानी दिन और रात के मिलने के समय से है. इनकी पूजा अमूमन शाम 6 बजे ही करनी चाहिए, इससे वे भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और यह समय उनका प्रिय काल भी माना जाता है.
इस समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संतुलन होता है और शनि की शक्ति सबसे अधिक प्रभावी रहती है. इसलिए शाम के समय की गई पूजा सीधा प्रभाव डालती है और भक्त की प्रार्थना शनिदेव तक जल्द पहुंचती है.
दिन में क्यों ना करें शनि देव की पूजा
धार्मिक मान्यता अनुसार, दिन का समय सूर्य देव कि प्रधानता का होता है और शनि देव सूर्य के पुत्र होने के बाद भी उनसे विपरीत चलते हैं. जिस वजह से दिन में शनि देव की पूजा करने से लाभ कम मिलता है और सूर्य अस्त के बाद शनिदेव की शक्ति जागृत होती है.
इसीलिए सूर्यास्त के बाद या शाम के समय शनि मंदिर में दीपक जलाना, तिल का तेल चढ़ाना, और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करने से शिनदेव की अपार कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न भी होते हैं.
शनिदेव पूजा विधि
- शनिवार के दिन सूर्योदय से पहने स्नान करें.
- शनि महाराज के मूर्ति पर तिल का तेल, फूल अर्पित करें.
- फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं.
- तिल या सरसों के तेल से दीपक जलाएं.
- पीपल के पेड़ के पास भी तेल का दीपक जला कर रखें.
- शनिदेव की स्तुति का पाठ करें.
- पूजा के आखिर में शनिदेव की आरती करें.
- पूजा के बाद व्रत का पारण काली उड़द की दाल की खिचड़ी से करना चाहिए.
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