Shani Dev, Mahima Shani Dev Ki : मकर राशि में शनि देव को उच्च कोटी का माना गया है. वर्तमान समय में शनि मकर राशि में ही गोचर कर रहे हैं. लेकिन इस समय शनि देव वक्री अवस्था में हैं. शनि जब वक्री होते हैं तो पीड़ित हो जाते हैं. वक्री अवस्था को शनि की उल्टी चाल भी कहा जाता है.


शनि की दृष्टि के साथ शनि की उल्टी चाल को भी ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना गया है. मान्यता है कि शनि जब उल्टी चाल चलते हैं तो बहुत पीड़ित हो जाते हैं और अपना पूरा फल प्रदान नहीं कर पाते हैं. अभी शनि देव श्रवण नक्षत्र में हैं, 22 जनवरी 2021 के बाद शनि श्रवण नक्षत्र में आए थे. ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव इस नक्षत्र में 18 फरवरी 2021 तक रहेंगे.


शनि वक्री 2021 (Shani Vakri 2021) 
पंचांग के अनुसार शनि 23 मई, रविवार को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को वक्री हुए थे. इस एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन दोपहर 02 बजकर 50 मिनट पर शनि वक्री हो गए थे. 


शनि मार्गी 2021 (Shani Margi 2021) 
पंचांग के अनुसार शनि देव 141 दिनों तक वक्री रहने के बाद 11 अक्टूबर 2021 सोमवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर मार्गी हो जाएंगे.

शनि देव का स्वभाव (Shani Nature)
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को एक क्रूर ग्रह माना गया है. लेकिन शनि देव अशुभ फल ही प्रदान करते हैं, ऐसा नहीं है. जन्म कुंडली में शनि देव की स्थिति से भी फलों में परिवर्तन होता है. यानि शनि देव शुभ फल भी प्रदान करते हैं. शनि देव को न्याय करने वाला ग्रह माना गया है. शनि देव व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कार्यों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं. यानि जब व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तो शनि देव अत्यंत शुभ फल प्रदान करते हैं, वहीं जब गलत कार्य करता है तो शनि देव उसे कठोर दंड प्रदान करते हैं.


शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या (Shani Sade Sati, Shani Dhaiya)
मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या, धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसलिए इन 5 राशियों को शनि को शांत रखने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए. नहीं तो जॉब, करियर, बिजनेस, सेहत, लव रिलेशन और धन आदि से जुड़ी चीजों में परेशानी प्रदान करते हैं.


शनि के उपाय (Shani Ke Upay)
शनि को शांत रखने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन शनि देव की विशेष पूजा करनी चाहिए. शनिवार में शनि को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए. काले तिल, काली उड़द आदि का दान करना चाहिए. इसके साथ ही शनि मंत्र और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए.


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