Pradosh Vrat: हिन्दू धर्म में सावन के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि सावन का प्रदोष व्रत करने से पूजा का दोगुना फल मिलता है. प्रदोष व्रत करने से जीवन में सुख-सौभाग्य की वृद्धि होती है. यह व्रत करने से सौ गाय दान करने के बराबर फल प्राप्त होता है. मान्यताओं के अनुसार जो भी इस व्रत को पूरे विधि-विधान और तन,मन, धन से करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.
सावन के आखिरी प्रदोष पर अद्भुत संयोग
सावन का पहला प्रदोष व्रत आज 14 जुलाई को रखा गया था. वहीं इस महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 28 अगस्त को पड़ रहा है. इस दिन सावन का अंतिम सोमवार भी है जिसकी वजह से इसकी महत्ता और बढ़ गई है. प्रदोष के दिन शिववास होता है. पुराणों के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी संकटों से छुटकारा मिलता है.
सावन के सोमवार के दिन प्रदोष व्रत का पड़ना अद्भुत संयोग हैं. इस दिन संकल्प लेकर भगवान शिव की पूजा-अराधना करने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा-पाठ का दोगुना फल मिलता है. इस दिन भक्तों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसेगी.
पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन माह के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 अगस्त को शाम 06 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 29 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 47 मिनट पर इसका समापन होगा. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात्रि 09 बजे तक है.
सोम प्रदोष व्रत के लाभ
सोम प्रदोष के दिन भोलेनाथ के अभिषेक रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही सारी रुकावटें दूर होती हैं. इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करने से संतान की इच्छा पूरी होती है. इस दिन दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए. इससे भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं.
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