Bihar: ज्योतिष के अनुसार, नीतीश कुमार की कुंडली में नवंबर महीना उनके लिए विशेष राजयोग बनाता है. जब-जब उन्होंने नवंबर में शपथ ली, सत्ता के समीकरण बदले लेकिन कुर्सी अंततः उनके पास ही आई. 2005 से 2020 तक नवंबर में हुई हर शपथ का परिणाम एक जैसा रहा है.

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राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद मुख्यमंत्री पद अंत में नीतीश कुमार के पास ही गया. लगातार दो दशक का यह पैटर्न अब चर्चा में है. यह घटनाएं अलग-अलग राजनीतिक परिस्थितियों में भी हुईं, लेकिन तारीखों का यह मेल लगातार एक ही निष्कर्ष की ओर इशारा करता है नवंबर का महीना नीतीश कुमार के लिए सत्ता में वापसी या सत्ता बनाए रखने का सबसे अनुकूल रहा है.

ज्योतिषीय दृष्टि से इसकी पृष्ठभूमि सीधी है. नीतीश कुमार की जन्म-कुंडली (1 मार्च 1951, 1:20 बजे, बख्तियारपुर) मिथुन लग्न की है और चंद्रमा वृश्चिक राशि में स्थित है. नवंबर के मध्य से सूर्य वृश्चिक में प्रवेश करता है, जिससे चंद्र राशि सक्रिय होती है. ज्योतिष में यह अवधि निर्णय क्षमता, दबाव झेलने की ताकत और राजनीतिक स्थिरता के संकेत देती है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसी वजह से नवंबर का महीना नीतीश के लिए बार-बार निर्णायक साबित हुआ.

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2005 में 24 नवंबर को शपथ के साथ पहला पूर्णकालिक मजबूत शासन शुरू हुआ, जो लगभग पूरे पांच साल चला. 2010 में शासन के भीतर अस्थिरता बढ़ी, लेकिन 26 नवंबर की शपथ के बाद मुख्यमंत्री का पद वही रहा. 2015 में गठबंधन बदला, समीकरण बदले, लेकिन 20 नवंबर को नीतीश ने फिर शपथ ली. 2020 में परिणाम कमजोर मिले, राजनीतिक परिस्थिति चुनौतीपूर्ण रही, फिर भी 16 नवंबर को मुख्यमंत्री की बागडोर वही बनाए रहे.

विशेषज्ञों का कहना है कि नवंबर के आसपास सूर्य-चंद्र स्थिति, नीतीश की कुंडली में नवम और दशम भाव को सक्रिय करती है. इसका असर यह होता है कि राजनीतिक दबाव बढ़ने के बावजूद अंतिम फैसले अक्सर उनके पक्ष में झुकते हैं. गठबंधन बदले हों या समीकरण कमजोर पड़े हों, नवंबर में लिया गया निर्णय उन्हें सत्ता के केंद्र में वापस ले आता है.

अब 2025 में फिर 20 नवंबर की संभावित शपथ को लेकर चर्चा है. ग्रहों की स्थिति इस समय मिश्रित मानी जा रही है. सूर्य वृश्चिक राशि में अनुकूल रहेगा, राहु महादशा नीतीश की राजनीतिक भूमिका को मजबूत रखेगी, हालांकि शनि का दबाव फैसलों को आसान नहीं बनने देगा. इसके बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि नवंबर का इतिहास और ज्योतिषीय संकेत, दोनों यह इशारा देते हैं कि यह महीना फिर किसी बड़े राजनीतिक फैसले की दिशा तय कर सकता है.

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