Mohini Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है. एकादशी के व्रत से जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है. 


हिंदू पंचांग के अनुसार, साल भर में 24 एकादशियां पड़ती है. इन सबमें मोहिनी एकादशी बहुत शुभ और फलदायी मानी गई है. इस बार 19 मई, रविवार के दिन मनाई जाएगी. मोहिनी एकादशी में भगवानविष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं भगवान विष्णु ने आखिर मोहिनी का स्वरूप क्यों लिया था.


भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की कथा


पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के बाद अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में आपाधापी मच गई थी. ताकत के बल पर असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे. परेशान देवताओं ने साथ में  मिलकर भगवान विष्णु से इस समस्या का समाधान ढूंढने की विनती की. 


देवताओं की मुश्किल हल करने के लिए विष्णु भगवान ने एक योजना बनाई. वो मोहिनी का रूप धारण कर असुरों के सामने गए. भगवान विष्णु का मोहिनी रूप इतना मनमोहक था कि इसे देखकर देवता और दानव दोनों मोहित हो गए. मोहिनी को देखते ही  असुर अपनी सुधबुध खो बैठे. 


मोहिनी ने पहले तो असुरों को अपनी मोह माया के जाल में फंसाया फिर धीरे से सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. इससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया. इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. धोखा मिलने पर दानवों ने मोहिनी पर हमला कर दिया.  तब भगवान विष्णु ने अपना पुरुष रूप धारण कर इन दानवों का वध कर दिया.


भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का महत्व


मोहिनी रूप भगवान विष्णु की शक्ति और बुद्धि का प्रतीक है. यह रूप भगवान विष्णु के विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन करता है जो संसार की रक्षा करते हैं. मोहिनी रूप स्त्री शक्ति का भी प्रतीक है. मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों का नाश होता है.


इस एकादशी  के उपवास से मोह के बंधन खत्म हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति विधि-विधान से भगवान विष्णु की साधना करते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है, उसे वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. 


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