Guruwar Vrat : सनातन धर्म में गुरुवार का दिन श्री हरी और भगवान बृहस्पति को समर्पित है. कहा जाता है इस दिन भगवान विष्णु का व्रत रखते हैं तो आपको देवी लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है और पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. तथा जिन लोगों के विवाह में बार-बार बाधाएं आ रही होती हैं, उन्हें गुरुवार का व्रत जरूर करना चाहिए मान्यता है, कि इस व्रत को करने से इस समस्या से निजात मिल जाता है. आइए जानते हैं, गुरुवार के व्रत और पूजा के सही नियम एवं महत्व.



इस दिन से शुरू करें गुरुवार के व्रत

गुरुवार व्रत की शुरुआत करने से पहले आपको इस व्रत से जुड़े नियम और विधि-विधान को जान लेना चाहिए और उसके बाद ही व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए. अगर आप पहली बार इस व्रत को रख रहे हैं, तो इन कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें.ध्यान रहे, कि  गुरुवार के भूलकर भी पौष माह में शुरू नहीं करना है, आपको. इसके अलावा आप इस व्रत की शुरुआत आप  किसी भी माह की शुक्ल पक्ष के गुरुवार से शुरु तथा अनुराधा नक्षत्र से कर सकते हैं. इससे व्रत का शुभ प्रभाव कई अधिक बढ़ जाता है.

गुरुवार के कुल कितने व्रत होते हैं ?
धार्मिक महत्व के अनुसार लगभग 16 गुरुवार के व्रत करने अच्छे माने जाते हैं और आप चाहें तो 1, 3, 4, 7 या 9 एक साल तक भी गुरुवार का व्रत भी कर सकते हैं और व्रत रखने के बाद 17वें गुरुवार को व्रत का पूरे विधि-विधान के साथ उद्यापन कर लें.

गुरुवार व्रत में किस प्रकार के भोजन का सेवन करें ?
गुरुवार के दिन आप इस प्रकार के भोजन का सेवन कर सकते हैं.उदाहरण के तौर पर आप इस व्रत के दौरान दिन में एक बार बिना नमक का भोजन और फल का सेवन कर सकते हैं.

कैसे करें गुरुवार व्रत का उद्यापन ?
जिस दिन आप गुरुवार का व्रत उद्यापन कर रहे हो उस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद उद्यापन सारी सामग्री उपलब्ध करले. फिर मंदिर को साफ कर मंदिर में केले के पत्तों का उपयोग करें फिर नारायण को पीले फल, वस्त्र, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें. इसके साथ ही प्रार्थना करें कि आपने गुरुवार व्रत का जो संकल्प लिया था, उसे आप पूरा करते हुए आज उस व्रत का उद्यापन कर रहे हैं.इसके बाद भगवान विष्णु और बृहस्पति का ध्यान करें और  गुरुवार व्रत की कथा पढ़ें तथा आरती करें और प्रार्थना करें.


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