Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, इसमें जन्म और मृत्यु के साथ ही मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में भी विस्तारपूर्वक बतलाया गया है. आमतौर पर गरुड़ पुराण का पाठ घर पर किसी परिजन की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक कराया जाता है.


गरुड़ पुराण को सद्गति प्रदान करने और पुण्य कर्म करने के लिए प्रेरित करने वाला ग्रंथ कहा गया है. इसलिए हर व्यक्ति को इसका पाठ करना चाहिए और इसमें बताए नीति-नियमों का आत्मसात करना चाहिए.


सर्व पितृ अमावस्या 2023


सर्व पितृ अमावस्या 16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है. सर्व पितृ अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन भी हो जाता है. इस साल सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 को है. इस दिन भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है. यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हो तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं. लेकिन इसी के साथ गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे काम या उपायों के बारे में बताया गया है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या पर करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.


गरुड़ पुराण के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या पर करें ये 5 काम



  • पंचबलि कर्म: गरुड़ पुराण के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या पर पंचबलि कर्म जरूर करें. पंचबलि में पितरों के निमित्त 5 जगह भोजन निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है. पंचबलि यानी गोबलि (गाय), श्वानबलि (कुत्ता), काकबलि (कौआ), देवबलि (देव) और पिपलिकादि बलि (चीटियों) के लिए भोजन निकाला जाता है.

  • तर्पण और पिंडदान: सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण और पिंडदान का खास महत्व होता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, सामान्य विधि के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या पर चावल, दूध, घी, गुड़ और शहद मिलाकर पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किया जाता है.

  • गरुड़ पुराण का पाठ: मृत्यु के बाद घर पर 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ होता है. यह मृतक की आत्मा को सुनाया जाता है. इसलिए सर्व पितृ अमावस्या पर गरुड़ पुराण में कुछ विशेष अध्यायों का पाठ जरूर करें. इसके अलावा आप इस दिन गीता का पाठ भी कर सकते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

  • दान: सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों के निमित्त यथाशक्ति दान करना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. सर्व पितृ अमावस्या पर अन्न-धन के दान के साथ ही दीपदान, छायादान और श्रमदान भी करना चाहिए.

  • 16 ब्राह्मणों को कराएं भोजन: सर्व पितृ अमावस्या पर बटुक ब्राह्मण (ऐसे छोटे ब्राह्मण जो वेद अध्ययन कर रहे हों) को भोजन कराना चाहिए. इन्हें पेटभर भोजन कराने के साथ ही दक्षिणा देकर विदा करें.


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