Chanakya Niti, New Year 2023, Motivational Quotes, Chanakya Niti in Hindi:  चाणक्य, जिन्हें आचार्य चाणक्य, कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है. चाणक्य की गिनती विख्यात विद्वानों में की जाती है. चाणक्य के बारे में कहा जाता है कि वे अपने लक्ष्य को लेकर सदैव समर्पित रहते थे, वे बेहद आत्मविश्वासी (Confidence) और दृढ़ निश्चय (Determination) व्यक्ति थे, वे एक बार जो ठान लेते थे उसके पूरा करके ही मानते थे. 


नया साल आ रहा है. हर कोई वर्ष 2023 का इंतजार कर रहा है. चाणक्य के अनुसार हर मनुष्य के जीवन में दुख और कष्ट आते हैं. ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार से दिन के बाद रात आती है.


चाणक्य के अनुसार मनुष्य को किसी भी परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए. संकटों का डटकर सामना करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि जो संकट के समय ही व्यक्ति के गुणों की सही परीक्षा होती है. नए साल पर चाणक्य की ऐसी कौन सी बाते हैं, जो सफलता दिला सकती हैं, आइए जानते हैं-


अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ।
धर्मोपदेशं विख्यातं कार्याऽकार्य शुभाऽशुभम् ।।


भावार्थ- जो व्यक्ति शास्त्रों के नियमों का निरंतर अभ्यास करके शिक्षा प्राप्त करता है उसे सही, गलत और शुभ कार्यों का ज्ञान हो जाता है. ऐसे व्यक्ति के पास सर्वोत्तम ज्ञान होता है. यानि ऐसे लोग जीवन में अपार सफलता प्राप्त करते हैं.


चाणक्य ने ज्ञान पर विशेष बल दिया है. चाणक्य के अनुसार सभी दुखों का निवारण ज्ञान ही है. ज्ञान से ही हर लक्ष्य को भेदा जा सकता है, जो ज्ञान प्राप्त करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं, वे जीवन में अपार सफला प्राप्त करते हैं. ऐसे लोगों पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है. ज्ञान पर चाणक्य का एक अन्य श्लोक -


यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः ।
न च विद्यागमऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ।।


भावार्थ- उस देश में नहीं रहना चाहिए जहां सम्मान न हो. रोजगार के साधन न हों. वहां पर भी मनुष्य का नहीं रहना चाहिए जहां आपका कोई मित्र न हो. उस स्थान का भी त्याग करना चाहिए जहां पर ज्ञान न हो. ज्ञानियों का सम्मान न हो.


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चाणक्य की चाणक्य नीति मनुष्य को संकट से लड़ने की ताकत प्रदान करती है, जब व्यक्ति दुखों से घिर जाता है तो उसे चाणक्य नीति नया मार्ग दिखाने का प्रयास करती है. चाणक्य नीति की बातों पर जो अमल करता है उसका जीवन सुखी रहता है. ऐसे व्यक्ति को दुख के घनघोर बादल भी विचलित नहीं कर पाते हैं. चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को सदैव चिंतन और मनन करते रहने चाहिए. इससे जीने की राह मिलती है. चाणक्य के इस श्लोक को देखें-


जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे ।
मित्रं चापत्तिकाले तु भार्यां च विभवक्षये ।।


भावार्थ- सेवक यानि नौकर की परीक्षा तब होती है जब बुरा वक्त आता है. रिश्तेदार की परीक्षा तब होती है जब मुसीबत में घिरे जाएं. मित्र की परीक्षा संकट के समय होती है. पत्नी की परीक्षा तब होती है जब विपदा आन पड़ी हो.




चाणक्य के सामाजिक ज्ञान का फलक विशाल था. चाणक्य जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण को विशेष महत्व देते हैं. उनका मानना था कि मनुष्य को नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए. ये व्यक्ति की क्षमता, कर्मठता और योग्यता का नाश करती है. मनुष्य को सदैव सकारात्मक रहना चाहिए. सकारात्मक व्यक्ति जटिल से जटिल समस्यों पर भी आसानी वे विजय प्राप्त कर लेता है-


आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेध्दनैरपि ।
नआत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।


भावार्थ- मनुष्य को आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए धन की बचत करना चाहिए. उसे धन-संपदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेकिन बात यदि आत्मा की सुरक्षा की आ जाए तो उसे धन और पत्नी दोनों को तुच्छ समझना चाहिए.


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