Chanakya Niti, Motivation Thought in Hindi : चाणक्य नीति के अनुसार जिन माता-पिता की संतान योग्य होती है, वे इस धरती के सौभाग्यशाली लोगों में से एक होते हैं. ऐसे लोगों के लिए धरती ही स्वर्ग बन जाती है. संतान को योग्य बनाने के लिए माता-पिता को भी कठोर परिश्रम करना पड़ता है. समय आने पर त्याग भी करना पड़ता है.


चाणक्य नीति कहती है कि संतान को योग्य बनाना है तो माता-पिता को गंभीर होना चाहिए. जो माता-पिता संतान की शिक्षा, संस्कार और भविष्य को लेकर गंभीर और जागरूक नहीं होते हैं. उन्हें दुख उठाना पड़ता है. इसलिए संतान को यदि योग्य बनाना चाहते हैं तो चाणक्य की इन बातों को अवश्य जान लें-


संतान को संस्कारवान बनाएं- चाणक्य नीति के अनुसार संतान को संस्कारवान बनाना चाहिए. जो माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार प्रदान करते हैं, वे सम्मान और आदर प्राप्त करते हैं. संस्कार से ही गुणों में वृद्धि होती है. संतान का बौद्धिक विकास तेजी से होता है. 


अनुशासन का महत्व- चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों में अनुशासन की भावना जागृत करना बहुत ही आवश्यक है. भवन की नींव यदि मजबूत नहीं है तो इमारत की मजबूत होने का दावा नहीं किया जा सकता है. इसी प्रकार से आरंभ से ही यदि बच्चों को अच्छी आदतों के लिए प्रेरित न किया जाए तो आगे चलकर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अनुशासन की भावना समय के महत्व को बताती है. सफलता में समय की अहम भूमिका मानी गई है.


शिक्षा का महत्व जानें- चाणक्य नीति कहती है कि संतान को सदैव अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए. शिक्षा दिलाते समय योग्य शिक्षक, संस्थान का चयन भी आवश्यक है. बच्चे की नींव को मजबूत बनाने के लिए आरंभ से ही अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए माता पिता को गंभीर होना चाहिए.


प्रतिभा को निखारें- चाणक्य नीति के अनुसार हर बच्चे में एक विशेष प्रतिभा होती है. जो माता-पिता इस प्रतिभा को समझ कर उसे निखारने में लग जाते हैं, वे सफलता प्राप्त करते हैं. संस्कार, अनुशासन, शिक्षा से प्रतिभा को चार चांद लग जाते हैं. इसलिए संतान के भीतर छिपी प्रतिभा को उभारने का प्रयास करना चाहिए.


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