Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक माने जाते हैं. चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव से जो कुछ भी जाना और समझा उसे अपनी चाणक्य नीति में दर्ज किया. चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक मानी जाती है. यही कारण है कि आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य की चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं और उनकी बताई गई बातों पर अमल करने का प्रयास करते हैं.


चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति के जीवन को सुगम और सरल बनाने में सहयोग प्रदान करती हैं. जीवन के उतार चढ़ाव में व्यक्ति को किस तरह से कार्य करना चाहिए, इस बारे में भी बताती है. यही कारण है कि चाणक्य नीति की लोकप्रियता आज भी कायम है. चाणक्य ने संकट से निपटने के लिए जरूरी बातें अपनी चाणक्य नीति में बताई हैं. चाणक्य के अनुसार संकट के समय ही व्यक्ति की असली परीक्षा होती है. व्यक्ति कितना योग्य है इसका पता संकट के समय ही लगता है. यही नहीं कौन अपना है और कौन पराया है इसका भी पता संकट के समय ही लगता है. संकट से बचने के लिए चाणक्य की चाणक्य नीति क्या कहती हैं आइए जानते हैं-


आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपद:।
कदाचिच्चलिता लक्ष्मी: सञ्चितोऽपि विनश्यति।।


चाणक्य की चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ यह है कि व्यक्ति को कठिन समय से बाहर निकलने के लिए धन का संचय करना चाहिए, क्योंकि धन की देवी यानी लक्ष्मी जी का स्वभाव बहुत ही चंचल है. एक समय ऐसा आता है कि जमा किया हुआ धन भी नष्ट हो जाता है. धन का संचय करना व्यक्ति की समझदारी का परिचायक है. इस बारे में व्यक्ति को गंभीर रहना चाहिए.


चाणक्य का मानना था कि संकट के समय स्वार्थी लोग साथ छोड़ जाते हैं. संकट के समय ही अपने और पराए की पहचान होती है. संकट के समय धन ही सच्चा मित्र होता है. इसलिए धन की बचत करनी चाहिए क्योंकि यही मुसीबत के समय काम आता है. 


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