Chanakya Niti For Motivation in Hindi: चाणक्य नीति के अनुसार जो माता-पिता अपने आचारण और गुणों को लेकर सतर्क और सावधान रहते हैं, उन्हें सच्चा संतान सुख प्राप्त होता है. बच्चों को मामले में माता पिता को बहुत ही गंभीर रहना चाहिए. जिस प्रकार एक माली अपने पौधों की रक्षा करता है, उन्हें जीव-जंतु, गर्मी, सर्दी और बारिस से बचाता है. उसी प्रकार से माता पिता को भी अपनी संतान को योग्य बनाने के लिए प्रयास और प्रयत्न करने चाहिए.


चाणक्य की गिनती श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. उनका संबंध अपने समय के विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से था. चाणक्य ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की और बाद में वे इसी विश्वविद्यालय में आचार्य नियुक्त हुए. चाणक्य को शिक्षा प्रदान करने का विशाल अनुभव था. उनके जीवन का बड़ा हिस्सा विद्यार्थियों के बीच गुजरा था, इसलिए बच्चों के विकास को लेकर उनका अनुभव बहुत ही शोधपरक था. चाणक्य का मानना था कि बच्चों को यदि योग्य बनाना है तो माता पिता को आरंभ से ही गंभीर हो जाना चाहिए. क्योंकि बच्चों पर माता-पिता का गहरा प्रभाव पड़ता है. माता पिता जिस प्रकार से आचरण करते हैं, बच्चों पर भी उसी तरह का प्रभाव देखने को मिलता है. इसलिए बच्चों के मामले में माता पिता को चाणक्य की इन बातों को जरूर जान लेना चाहिए-


बातचीत का ढंग - चाणक्य नीति कहती है कि माता पिता की बातचीत का तरीका यानि भाषा शैली मधुर और विनम्र होनी चाहिए. भाषा शैली का प्रभाव बच्चों पर अधिक पड़ता है. बच्चों को यदि आरंभ से ही भाषा और बोली के महत्व को बताया जाए, तो जीवन में सफलता में सबसे अधिक सहायक साबित होती हैं. इसलिए माता पिता के सामने सदैव ही आर्दश और श्रेष्ठ भाषा शैली का प्रदर्शन करना चाहिए.


क्रोध और अहंकार का प्रदर्शन न करें- चाणक्य नीति कहती है कि बच्चों के सामने अपने बर्ताव को लेकर माता पिता को सचेत रहना चाहिए. बच्चों के सामने क्रोध, अहंकार और अनैति वर्ताब नहीं करना चाहिए. इससे बच्चों के मन और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है.


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