Coriander Cultivation: भारत में बागवानी फसलों की खेती का चलन बढ़ता जा रहा है. किसान अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर सब्जी, फल और मसालों की खेती (Spices Cultivation)  पर फोकस कर रहे हैं, क्योंकि ये फसलें अनाजों से पहले तैयार हो जाती है और बाजार में भी इनके बेहतर दाम मिलते हैं. इसी प्रकार की बागवानी फसल में शामिल है धनिया (Coriander) , जिसके बीजों को मसाले और पत्तों को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. सालभर इस बागवानी फसल (Horticulture Crop) की मांग बाजार में बनी रहती है. किसानों को धनिया की फसल कम समय में अच्छा उत्पादन दे जाती है.


कृषि विशेषज्ञों की मानें तो धनिया की बाजार में डिंमाड (Coriander Demand) काफी ज्यादा है और आपूर्ति कम. ऐसे में किसानों को धनिया की पत्ती या बीजों की अच्छी कीमत मिल जाती है. खासकर किसी-किसी सीजन में धनिया की कीमतें आसमान छू रही होती हैं. यही कारण है कि सही सीजन में धनिया का उत्पादन लेकर किसान मात्रा 2 से 3 महीने में ही लागत से अधिक मुनाफा कमा लेते हैं.


धनिया की खेती (Coriander Cultivation) 
धनिया की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी फायदेमंद रहती है. खासकर सिंचित इलाकों में मिट्टी का तापमान 6.5 से 7.5 रहने पर धनिया का अच्छा उत्पदन मिलता है. इसकी खेती के लिये जमीन को उपजाऊ बनाकर ही बुवाई करनी चाहिये, जिसके लिये मिट्टी में गहरी जुताईयों के बाद जैविक और कंपोस्ट खाद  डालना ही काफी रहेगा.



  • इसकी बिजाई के लिये छिटकवां का भी प्रयोग किया जाता है, जिसमें बीजों का रगड़कर दो हिस्सों में तोड़ते हैं और खेतों में छिड़क देते हैं.

  • धनिया की बुवाई कतारों में करना ज्यादा सुविधाजनक रहता है, जिससे प्रबंधन कार्य आसानी से किये जा सकते हैं.

  • किसान चाहें तो पारंपरिक या दूसरी बागवानी फसलों के साथ मेड़ों पर धनिये की सह-फसल खेती कर सकते हैं. 

  • इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये बुवाई के 30 से 35 दिनों बाद पत्ती बनने की अवस्था में पहली सिंचाई का काम किया जाता है.

  • धनिये की फसल में दूसरी सिंचाई शाखा निकलते समय यानी बुवाई 50 से 60 के बाद की जाती है.

  • 70 से 80 दिन बाद फूल आने की अवस्था में तीसरी सिंचाई का काम कर लेना चाहिये.

  • चौथी सिंचाई का काम बीज बनते समय करीब 90 से 100 दिनों के बाद करना सही रहता है.

  • दाना पकते समय मिट्टी में नमी बनाये रखने के लिये पांचवी सिंचाई 105 से 110 दिनों के बाद की जाती है.


धनिया की कटाई और कमाई (Income by Cultivating Coriander) 
हरी पत्ती (Coriander Leaves) के लिहाज से धनिया की फसल 45 से 60 दिनों में पकककर तैयार हो जाती है. वहीं बीज यानी मसाले के लिहाज से धनिया की फसल को पकने में समय लगता है. धनिये के दानों के कठोर और पत्तियों के पीला पड़ने पर ही धनिये के बीजों को निकलना चाहिये.



  • बाजार में धनिया पत्तियों का भाव सामान्य सब्जियों के तरह ही होता है, लेकिन कभी-कभी इसकी पत्तियों का भाव 300 रुपये प्रति किलो हो जाता है.

  • वहीं मसालों (Coriander Spice) के लिये धनिया के बीजों (Coriander Seeds)  का भाव भी 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना रहती है.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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