Farmer's Success Story: भारत में औषधीय पौधों की खेती काफी लोकप्रिय होती जा रही है. ज्यादातर इलाकों में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर हर्बल फसलें और जड़ी-बूटियां उगाकर अच्छा लाभ कमा रहे हैं. हर्बल खेती की इसी मुहिम से झारखंड की मंजू कच्छप जुड़ी हैं, जिन्होंने अपने गांव देवरी में एलोवेरा की सफल खेती करके बड़ी सफलता हासिल की है. आज देवरी गांव की दूसरे किसान और महिलायें भी बड़े पैमाने पर एलोवेरा और दूसरी जड़ी-बूटियों की खेती कर रहे हैं. 


प्रधानमंत्री ने की तारीफ
कई सालों से मंजू कच्छप अपने गांव के खेतों में एलोवेरा और दूसरी जड़ी-बूटियों की खेती कर रही हैं. बडे पैमाने पर एलोवेरा की खेती के कारण उनका गांव एलोवेरा गांव  के नाम से मशहूर था. लेकिन यह उस समय चर्चा में आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  मन की बात के एक खास एपीसोड में इस गांव का मंजू कच्छप की सफलता का जिक्र किया, जिसके बाद आस-पास के गांव और राज्यों से किसान और कृषि वैज्ञानिक इन खेतों की तरफ आकर्षित होने लगे. आज मंजू कच्छप खुद की नर्सरी में एलोवेरा के पौधे बनाती हैं, जिसके लिये उन्होंने पॉलीहाउस में लगाया है.


 






 


3 साल पहले शुरु हुआ सफर
देवरी गांव रात भर में एलोवेरा गांव नहीं बना, बल्कि इसमें मंजू कच्छप और दूसरी महिला किसानों की 3 साल की मेहनत शामिल है. शुरुआत में एलोवेरा को छोटे पैमाने पर ही उगाया जाता था, लेकिन बाजार में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुये मंजू कच्छप के साथ-साथ दूसरे किसानों ने भी अपने खेतों में एलोवेरा उगाकर बेचना शुरु किया. मंजी कच्छप की तरह ही देवरी के किसानों को एलोवेरा की खेती से कम खर्च में ही ज्यादा मुनाफा होने लगा. देखते ही देखते पूरे गांव ने छोटे-बड़े स्तर पर एलोवेरा की खेती शुरु कर दी. लगभग 3 साल बाद बंपर मुनाफा देने वाला देवरी गांव एलोवेरा गांव बन गया. आज देवरी गांव के खेतों से लेकर घर के आंगन तक एलोवेरा के पौधे लगे मिल जायेंगे.


कैसे करें एलोवेरा की खेती
एलोवेरा एक नकदी औषधीय फसल है, जिसकी खेती के लिये ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, बल्कि कम पानी वाली बंजर मिट्टी में भी एलोवेरा का बंपर उत्पादन ले सकते हैं. इसकी खेती के लिये नर्सरी में पौधे तैयार करके रोपाई की जाती है और उत्पादन बढ़ाने के लिये इसके पौधों को ही बीज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. आज भारत में ही नहीं, विदेशी बाजारों में भी एलोवेरा की काफी मांग है. एलोवेरा का इस्तेमाल दवाओं से लेकर कॉस्मेटिक्स, जूस और जैल जैसे हर्बल उत्पाद बनाने में किया जाता है. किसान चाहें तो इसकी खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं.




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