Advanced Farming: जलवायु परिवर्तन के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान बढ़ता जा रहा है. गेहूं-धान जैसी नकदी फसलें बर्बाद हो जाती हैं. यही वजह है कि अब किसान फल-सब्जी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इन बागवानी फसलों में नुकसान की संभावना कम करने के लिए आधुनिक तकनीकें आ गई हैं. ये तकनीकें बेशक महंगी होती है, लेकिन इन्हें अपनाने के लिए अब बागवानी विभाग भी आर्थिक मदद कर रहा है. आधुनिक तरीकों से बागवानी करने वाले किसानों में फतेहाबाद जिले के हरीश मदान भी शामिल हैं, जो अपनी 23 एकड़ जमीन पर आलू, प्याज और कीनू की खेती कर रहे हैं.


हरीश मदान को बागवानी फसलों में काफी रुचि थी, लेकिन ज्ञान नहीं था. इसके लिए हरीश मदान ने अपने जिले के बागवानी विभाग में संपर्क किया और ट्रेनिंग लेकर नए तरीके से खेती कर लगे. इससे अच्छा मुनाफा तो मिल ही रहा है, तकनीकों के इस्तेमाल से लागत भी काफी कम हो गई है.


नर्सरी से हो जाती है अच्छी कमाई


प्रगतिशील किसान हरीश मदान ने अपने फार्म पर फल-सब्जी नर्सरी की एक यूनिट भी लगाई है. इनकी पूरी 23 एकड़ जमीन बागवानी फसलों से कवर हो रही हैं. इसमें 5 एकड़ जमीन पर कीनू, 15 एकड़ जमीन पर आलू और 5 एकड़ में प्याज की खेती हो रही है.


बागवानी में कदम रखने से पहले हरीश मदान ने इंडो-इजराइल सिस्टम से खेती की प्रदर्शियां देखी थीं. वहीं से बागवानी में रुचि बढ़ी तो सहयोग के लिए बागवानी विभाग के कार्यालय पहुंच गए.


बागवानी विभाग से मिला पूरा सपोर्ट


हरीश मदान बताते हैं कि एसटीआई से ट्रेनिंग के बाद उन्होंने पहले कीनू के बाग लगाए और फिर धीरे-धीरे आधुनिक सिस्टम लगाकर सीजनल बागवानी फसलों का उत्पादन लेने लगे. हरीश मदान बताते हैं कि शुरुआत में काफी कम इनकम हुई, लेकिन धीरे-धीरे बागों का विकास हुआ और मुनाफा भी बढ़ने लगा. इस सफर में बागवानी विभाग से काफी सहयोग और सुविधाएं मिल रही हैं. 


सरकार से 50 प्रतिशत अनुदान का लाभ लेकर 5 एकड़ में स्प्रिंकलर सिंचाई और 15 एकड़ कीनू के बाग में ड्रिप सिस्टम लगाया है. इससे पानी की बचत होती ही है, बेहतर क्वालिटी की उपज मिल रही है. कई बार पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए भी बागवानी विभाग से आर्थिक मदद मिल जाती है.


हरीश मदान ने सिंचाई के लिए अपने फार्म पर ही वाटर टैंक बनवाया हुआ है, जिसके लिए 100 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ मिला था. बिजली-पानी के अतिरिक्त खर्चों को कम करने के लिए टैंक और ट्यूबवेल को सोलर प्लांट से कनेक्ट किया है. हरीश मदान बताते हैं कि पहले खेती में डीजल आदि का काफी खर्च होता था, लेकिन सरकार से मिल रही सुविधाओं ने हमारा खर्चा आधा और कमाई को दोगुना कर दिया है.


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