Rabi Season 2022:  रबी सीजन में मानसून की वापसी ने कई राज्यों की खेती को प्रभावित किया है. इन दिनों कर्नाटक के किसान भी मिट्टी में नमी बढ़ने के कारण कृषि कार्यों में तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. राज्य में अब मिट्टी में नमी का स्तर काफी बढ़ गया है. इस मिट्टी में किसान बीजों की बुवाई तो कर रहे हैं, लेकिन बीजों का जमाव नहीं हो पा रहा, जिससे पूरी मेहनत बर्बाद हो रही है. ये समस्या सितंबर-अक्टूबर के बीच हुई भारी बारिश से पैदा हुई, जिससे अब सर्दियों की फसलें लगाने में दिक्कत हो रही है. अगर बुवाई में देरी हुई तो ना समय ये उत्पादन मिलेगा और ना ही उपज के सही दाम.


74% में हुई रबी फसलों की बुवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक कृषि विभाग ने रबी फसलों की खेती से कुल 26.68 लाख हेक्टेयर रकबा कवर करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अभी तक 74% रकबे में ही बुवाई हो पाई. इससे उपज के उत्पादन और उत्पादकता प्रभावित हो सकती है.एक्सपर्ट्स का मानना है कि आवश्यकता से अधिक बारिश ने मिट्टी की नमी को बढ़ा दिया है, जिससे अब रबी फसलों की बुवाई में परेशानी हो रही है.मिट्टी में बीजों को डालने पर उनका जमाव नहीं हो रहा, इससे अंकुरण में समस्या आ रही है. कई बार नमी बढ़ने पर बीजों से पौधे नहीं निकलते औप किसानों को नुकसान झेलना पड़ जाता है.


क्या रहता हैं एक्सपर्ट्स
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि बीजों के जमाव के लिए मिट्टी में ऑक्सीजन का होना आवश्यक है. वहीं इस मामले में कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र के आंकड़े बताते हैं कि करीब 20 से अधिक राज्यों के 31 से ज्यादा जिलों में जून से लेकर सितंबर में जरूरत से ज्यादा ही बारिश हुई है.  कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र के सीनियर कंसलटेंट जीएस श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि इस साल मौसम की अनिश्चितताएं खेती पर हावी रहीं. इससे मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ गई. अधिक बारिश पड़ने पर मिट्टी भी बह-बहकर खेतों से बाहर निकल गई.


इन फसलों की होनी है बुवाई
कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र के सीनियर कंसलटेंट जीएस श्रीनिवास रेड्डी ने यह भी बताया कि इस रबी सीजन के दौरान राज्य में ज्वार, गेहूं, काबुली चना और काला चना की बुवाई हो रही है. अगर ये बुवाई सितंबर में हो जाती है तो किसानों को जनवरी से मार्च के बीच उत्पादन मिल जाता. बता दें कि नवंबर की बारिश बागवानी फसलों के लिए ही उपयुक्त रहती है, लेकिन बाकी की फसलों में इससे नुकसान बढ़ जाता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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