Gucchi Mushroom Cultivation: भारत में किसानों के बीच मशरूम की खेती काफी लोकप्रिय होती जा रही है. मशरूम उत्पादन करके किसानों को कम खर्च और कम जगह में ही मोटा मुनाफा हो जाता है. इसकी खेती के लिये किसानों को अलग से समय देने की जरूरत नहीं पड़ती. बल्कि पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और बडे-बडे खेतों में हल चलाने के बाद भी मशरूम की खेती की जा सकती है. मशरूम की खेती के लिये मिट्टी या खाद की कम  ही जरूरत होती है. खेतों से निकली पुआल और केंचुआ खाद की मदद से छोटे से कमरे में मशरूम उगाये जा रहे हैं.


क्या है मशरूम
जानकारी के लिए बता दें कि मशरूम एक प्रकार का फंगी यानी फंगस होती है, जिसमें कैल्शियम, विटामिन, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. मशरूम में मौजूद औषधीय गुणों के कारण है कि बाजार में इसकी सालभर मांग बनी रहती है. बात करें इसकी बिक्री से आमदनी के बारे में तो आम ओयस्टर या मिल्की मशरूम 250 रुपये से 300 रुपये तक की कीमत पर बेचे जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में मशरूम की एक ऐसी वैरायटी भी मौजूद है, जिसकी दुनियाभर में मांग बनी रहती है. इस मशरूम को गुच्छी या स्पंज मशरूम के नाम से भी जानते हैं.


गुच्छी मशरूम
हिमालय पर्वत की वादियों में कई औषधीय पौधे पाये जाते हैं, उन्हें उगाने की जरूरत नहीं होती. हिमालयी वन और जंगलों में ये पौधे प्रकृति के स्पर्श से ही पैदा होते हैं. प्रकृति के स्पर्श से उगने वाली इन्हीं औषधीय प्रजातियों में शामिल है गुच्छी मशरूम. इस मशरूम की खासियत है कि इसको उगाने के लिये खाद बीज नहीं डालना होता बल्कि ये मशरूम हिमालय की बर्फ के पिघलने से प्रकृति की गोद में ही उग आते हैं. विटामिन-बी, विटामिन-सी और अमीनो एसिड के गुणों से भरपूर गुच्छी मशरूम में चमत्कारी और औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसे हृदय रोगियों के लिये संजीवनी माना जाता है.


बाजार में मांग
गुच्छी मशरूम में मौजूद चमत्कारी गुणों के कारण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग बनी रहती है. यही कारण है कि कुदरती रूप से उगने वाले मशरूम को 30,000 रुपये किलो की कीमत में बेचा जाता है. हिमालय की वादियों के साथ-साथ गुच्छी मशरूम शिमला, कुल्लू, मनाली और चंबा समेत हिमाचल प्रदेश के जंगलों में फरवरी-अप्रैल में उगता है. जंगलों और झाड़ियों में उगने वाले इस संजीवनी मशरूम को यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और इटली जैसे कई देशों में पसंद किया जाता है. यही कारण है कि यहां के स्थानीय निवासी और किसान इसे ढूंढने के लिये दिन-रात एक कर देते हैं.


जल्द ही खेतों में भी उगेगा कुदरती मशरूम
हिमालय बर्फ के पानी और बिजली गड़गड़ाहट से पैदा होने वाले गुच्छी मशरूम की खेती को जल्द ही किसान खेतों में उगाकर अच्छी तरक्की कर सकेंगे. दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत काम करने वाली संस्था मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन ने गुच्छी मशरूम पर कई वर्षों तक रिसर्च की. साल 2021 में मशरूम अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने इसकी कृत्रिम खेती करके सफलता हासिल कर ली है. जल्द गुच्छी मशरूम की कृत्रिम खेती की तकनीक को विकसित करके हिमालयी वनों में रहने वाले लोगों और पहाड़ी इलाकों में खेती करने वाले किसानों तक पहुंचाया जायेगा. 




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