Organic farming Special: जैविक उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग के चलते अब किसान भी फसल उगाने के लिये जैविक खेती अपना रहे हैं. जैविक खेती करने से खर्चों में बचत तो होती ही है. साथ ही किसानों की आमदनी में भी बढोत्तरी होती है. इस चमत्कार के पीछे जैविक संसाधनों से निर्मित जीवामृत का योगदान है. जिसका इस्तेमाल करने से फसलों की बढ़वार तेज हो जाती है और फसल में कीड़े और बीमारियों की संभावना भी खत्म हो जाती है. बेहद कम लागत में बनने वाला जीवामृत मिट्टी को सोने में बदल देता है और इससे फसल अमृत के समान शुद्ध होती है. 


ऐसे बनायें जीवामृत
जो किसान भाई इस बार जैविक तरीके से अपने फसलों की खेती करना चाहते हैं, वो घर पर ही जीवामृत, जैविक खाद और जैविक कीटनाशक घर पर ही बना सकते हैं. इसमें डाली जाने वाली ज्यादातर चीजें किसानों के घर में ही मौजूद होती हैं. आइये जानते हैं इसे बनाने का तरीका-



  • जीवामृत बनाने के लिये सबसे पहले 10 लीटर गौ मूत्र, 3किग्रा गुड़, 5 किग्रा. गाय का गोबर और 2 किग्रा. बेसन और एक बड़ा प्लास्टिक का कंटेनर लाकर रख लें.

  • सबसे पहले अलग किसी बर्तन में  3 किग्रा गुड़ को भुरभुरा पीसकर इतने ही पानी में घोल लें.

  • कंटेनर में गौ मूत्र और बेसन डालकर अच्छी तरह से घोल दें, जिससे बेसन की हर गांठ घुल जाये.

  • इसमें गोबर और पानी में घुला हुआ गुड़ डालें, घोल को डंडे की मदद से मिला दें

  • आखिर में 2 किग्रा बेसन को मिलायें और इसे डंडे की मदद से थोड़ी देर तक घोलते रहें.

  • घोल में थोड़ा पानी मिलाकर 7 दिनों तक ढंककर रख दें और रोज-रोज डंडे की मदद से चलाते रहें.

  • 7 दिन बाद इस घोल को पौधों पर कीटनाशक और पोषण के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं.


क्या हैं जीवामृत के फायदे



  • खेतों में जीवामृत से पौधों की जड़ को ऑक्सीजन लेने में काफी मदद मिलती है.

  • जीवामृत का प्रयोग कंपोस्ट खाद बनाने में भी किया जाता है, इससे केंचुए की संख्या बढ़ाने में भी मदद मिलती है.

  • इसके इस्तेमाल से पौधों को पोषक तत्व सोखने में भी काफी मदद मिलती है.

  • जीवामृत से मिट्टी की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ फसल का उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलती है.

  • इससे फसल को बढ़ाने वाले सूक्ष्म जीव, जीवाणु व बैक्टीरिया को तेजी से काम करने लगते है.

  • इसके इस्तेमाल से मिट्टी नरम हो जाती है, जिससे जड़ों को फैलने में मदद मिलती है.

  • जीवामृत के प्रयोग से बंजर मिट्टी को भी उपजाऊ बनाने में भी मदद मिलती है.

  • जीवामृत बीजों के अंकुरण और पत्तियों को हरा-भरा बनाने में काफी मदद मिलती है.

  • इसके इस्तेमाल से उगने वाली सब्जी, फल और अनाजों में अलग ही स्वाद होता है.


 


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