Crop Damage Due to Elephants: बाढ़, बारिश, सूखा को दैवीय आपदा माना जाता है. इन आपदाओं से देश के किसानों को हर साल करोड़ों रुपये फसलों का नुकसान होता है. वर्ष 2022 खरीफ सीजन मेें भी बाढ़, बारिश और सूखे ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. किसानों की फसलों को केवल प्राकृतिक आपदाएं ही नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. पशु भी नुकसान करते हैं. कहीं नीलगाय, हिरन तो कहीं हाथी फसल को बर्बाद कर देते हैं. अब इस प्रदेश में जानवरों से होने वाले नुकसान को पीएम फसल बीमा योजना के तहत लाए जाने की कवायद चल रही हैं. अधिकारियों के स्तर से उत्तर प्रदेश शासन को पत्राचार भी किया गया है.
उत्तर प्रदेश में चल रही कवायदउत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हाथी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वन विभाग के अधिकारी हाथी से होने वाले फसलों के नुकसान के स्थायी समाधान में जुटे हैं. अधिकारियों की कोशिश है कि ऐसे नुकसान को फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाए. अधिकारियों का कहना है कि नुकसान हुई फसल की बीमित धनराशि मिल जाएगी तो इससे किसानों को खासी राहत मिलेगी.
भारत-नेपाल सीमा से आता है हाथियों का झुंडविशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हर साल हाथियों का झुंड आता है. इनमें पीलीभीत, लखीमपुर खीरी प्रमुख है. यह झुंड भारत नेपाल सीमा से होते हुए दक्षिण खीरी के महेशपुर तक जाता है. पीलीभीत के कई गांवों में भी हाथी घूमते हुए देखे जा सकते हैं. हाथी जब खेतों में पहुंचते हैं तो उन्हें खाने के साथ बहुत अधिक नुकसान भी पहुंचाते हैं. लेकिन दुखद यह है कि इन फसलों के नुकसान का किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता है.
मुआवजे का आंकलन करने में लगता है समयमीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दुधवा टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि फसल का मुआवजा देने में देर नहीं होती है. फसलों के नुकसान का आंकलन करने की जिम्मेदारी रेवेन्यू डिपार्टमेंट की है. बड़े क्षेत्र में फसल नुकसान का आंकलन, रिपोर्टिंग और बजट की डिमांड करने में समय लग जाता है. अभी तक हाथियों से हुए फसल नुकसान का बीमा किसानों को नहीं मिल पाता है. अब इसे फसल बीमा योजना में लाने की कवायद चल रही है. इससे किसानों को काफी राहत मिलेगी. इस संबंध में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट को इस संबंध में पत्र भेजा गया है.
लेकिन एक तकनीकी पेच भी हैपशुओं से होने वाले नुकसान फसल बीमा योजना में आएगा या नहीं. इसको लेकर तकनीकी पेच भी है. दरअसल, फसल बीमा के दायरे में नेचुरल आपदा से होने वाली फसलों को शामिल किया जाता है. जंगली जानवरों से होने वाले फसली नुकसान को इस योजना में कवर नहीं किया जाता है. अब पत्राचार के बाद बदलाव की उम्मीद जगी है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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