मौसम के बदलते तेवर नहीं सिर्फ इंसानों को ही नहीं फसलों को भी बीमार कर दिया है. बढ़ती ठंड और आसमान में छाए बादलों की वजह से दलहन की फसलें माहू कीट लगने की वजह से खराब हो रही हैं. अरहर, मूंग सेमी और पोपट जैसी फसलें अब इनकी चपेट में आ गई हैं. इन फसलों के अलावा चने की फसल पर भी अब खतरा मंडराने लगा है. हर रोज तापमान जिस तरह से ऊपर नीचे हो रहा है इससे चने की खड़ी फसल पर उकठा रोग लगने की पूरी संभावना बनी हुई है.


उकठा रोग लग गया तो क्या होगा


चने की खड़ी फसल पर अगर उकठा रोग लग गया तो यह पूरी फसल को बर्बाद कर देगा. यह रोग लगते ही चने के पौधे अचानक से सूखने लगते हैं. अगर आपको पहचान करनी है कि आपके चने के पौधों में उकठा रोग लगा है कि नहीं तो आपको कुछ पौधों की जड़ों के पास चीरा लगाकर देखना चाहिए, अगर उसमें काली संरचना दिखाई देती है तो समझ जाइए कि आपके पौधों को उकठा रोग लग चुका है. इस रोग की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि किसान कुछ समझ पाए इससे पहले ही फसल को काफी नुकसान हो चुका होता है. इसलिए किसानों को इस रोग की शुरुआत से पहले ही फसलों को इससे बचाने के उपाय कर लेने चाहिए.


फसलों को उकठा रोग से कैसे बचाएं


चने की फसल को उकठा रोग से बचाना चाहते हैं तो बुआई से पहले ही बीजों में कार्बेंडाजिम और थीरम दवा की सवा-सवा ग्राम मात्रा लेकर इसे दो-ढ़ाई किलो बीज में मिलाकर उपचारित कर दें. हालांकि, अगर आपने ऐसा नहीं किया है और फसल पर उकठा रोग लग गया है तो परेशान ना हों और रोग लगने के शुरुआत में ही किसी कृषि संबंधित दुकान पर जाएं और वहां से इस रोग से बचाव के लिए मिलने वाली दवा लेकर आएं और खेत में इसका छिड़काव करवा दें.


फलियों में इल्लियां लगने लगी हैं


चने की फसल खेतों में खड़ी है, अगर बरसात हो जाती है तो इन दोनों फसलों को फायदा होगा. लेकिन काफी दिनों से बरसात होने की जगह आसमान में सिर्फ काले बादल मंडरा रहे हैं. इन बादलों की वजह से फसलों को सीधी धूप नहीं मिल रही है और तापमान में भी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. इस वजह से फलियों में अब इल्लियां लगनी शुरू हो गई हैं.


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