Agriculture Tourism for Rural Development: किसी ने सही कहा है कि भारत की कुदरती खूबसूरती (Natural Beauty) गांव में ही मौजूद है, जहां सुबह की शुरुआत चिड़ियों की चह-चहाहट से होती है. गांव के खेतों की मिट्टी से निकलने वाली सौंधी खुशबू के पीछे लोग खिंचे चले आते हैं. यही कारण है कि शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी से छोटा-सा ब्रेक लेकर लोग सुकून की तलाश में गांव की ओर निकल पड़ते हैं.


भारत के गांव पूरी दुनिया के सामने संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल पेश करते हैं, जहां प्राकृतिक संसाधनों को सहेजते हुये खेती-किसानी की जाती है. गांव की इसी सुंदरता को रोजगार से जोड़ने के लिये एग्रीकल्चर टूरिज्म (Agriculture Tourism) यानी कृषि पर्यटन की शुरुआत की गई है, जिसके जरिये किसानों और गांव के लोगों के लिये रोजगार के रास्ते खुलते हैं.



क्या है कृषि पर्यटन (What if Agriculture Tourism) 
पर्यावरण की गोद में मौजूद गांव की खूबसूरती और खेती-किसानी को लोगों के दीदार के लिये खोलना ही सही मायनों में एग्रो टूरिज्म (Agro Tourism) है. कृषि पर्यटन में खेतों की हरियाली, फलों से लदे बाग, जमीन पर बिछे फूलों के बागीचों से आंखों को सुकून और दिमाग तरोताजा हो जाता है. ऐसे अनुभव के लिये सैलानी लाखों रुपये खर्च कर देते हैं और यहां तक दूर विदेशों तक जाने के लिये तैयार रहते हैं.


उदाहरण के लिये भारत में गोवा के कृषि पर्यटन स्थान, केरल में चाय के बागान, पूर्वोत्तर की पहाड़ियों और कश्मीर की फल और फूलों से लबालब भरी वादियों में देश-विदेश से सैलानियों का तांता लगा रहता है. ऐसे में अगर किसानों की तरफ से टूरिस्ट फार्म (Agriculture Tourist Farm) भी स्थापित कर दिया जायें तो उनकी आमदनी तो बढ़ेगी ही, साथ ही लोकल ग्रामीणों को काफी फायदा पहुंचेगा.



फार्म आधारित खेती या एग्रो फार्म टूरिज्म (Agriculture Farm Tourism or Farm Based Tourism)
फार्म आधारित खेती करने पर किसानों को कई फायदे होते हैं. सही मायनों में खेती करने का तरीका एकीकृत कृषि प्रणाली से प्रेरित है. जहां कृषि फार्म के सहारे ही अलग-अलग तरह की फसलों की खेती की जाती है. इसमें फल, सब्जी, अनाज, बागवानी (Horticulture) के साथ-साथ पशुपालन(Animal Husbandry) , मछली पालन (Fish farming) और मधुमक्खी पालन (Bee Farming) भी शामिल है.



  • एग्रो टूरिज्म से जुड़कर किसान आत्मनिर्भर बनते हैं और उन्हें आमदनी का नया जरिया भी मिल जाता है.

  • इसकी मदद से किसानों को मॉर्डन फार्मिंग (Modern Farming) और गांव की लाइफस्टाइल को सुधारने और साफ-सुथरा रखने के लिये भी प्रेरणा मिलती है.

  • खासकर जैविक खेती (Organic Farming) करने पर किसानों द्वारा उगाये गये ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट को बेचना आसान हो जाता है.

  • एग्रो टूरिज्म में टूरिस्ट के ठहरने के लिये कृषि फार्म में ही सोने-बैठने और खान-पान की व्यवस्था की जाती है.

  • इस तरह शहर के लोग गांव में सिर्फ सुकून ही नहीं पाते, बल्कि गांव में घूमकर वहां की संस्कृति से भी रूबरू होते हैं 



ध्यान देने योग्य बातें (Start Agriculture Tourism This Way)



  • एग्रो टूरिज्म (Agro Tourism) के तहत कृषि फार्म को पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीकों से तैयार करना चाहिये, जिसमें गांव की मिट्टी से लिपे कच्चे मकान, मिट्टी के बर्तन और पुआल के साथ-साथ घास-फूस का छप्पर शामिल हो.

  • इससे ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ ही एग्रो फार्म के साथ-साथ डेयरी के लिये पशुपालन, फार्म के पीछे मुर्गी पालन, तालाब में मछली पालन और खेतों में मधुमक्खी पालन करने से खान-पान का इंतजाम भी हो जायेगा.

  • एग्रो फार्म को सजाने के लिये सांस्कृतिक कलाकृतियों (Traditional Arts) का इस्तेमाल, पेड़ के नीचे झूले का इंतजाम और गांव में घूमने के लिये बैल या घोड़ा गाड़ी की व्यवस्था भी कर सकते हैं. उदाहरण के लिये- केरल में सैलानी हाथी की सवारी करते हैं और राजस्थान में ऊंट की सवारी अपने आप में आकर्षण का केंद्र होती है. यहां लोग प्रकृति का स्पर्श हासिल करने के लिये पहुंचते हैं.

  • एग्रो टूरिज्म के जरिये शहर के लोग खेती-किसानी के बारे में बेसिक जानकारी हासिल कर पाते हैं और किसानों को भी अपने खेत से निकले ऑर्गोनिक प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग में भीआसानी होती है.



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