इसरो के चंद्रयान मिशन को बीते साल सफलता मिली थी. अब चंद्रयान-3 के लैंडर Chaste पेलोड के डेटा से एक बड़ी जानकारी सामने आई है, जिससे चंद्रमा से जुड़े नए रहस्यों का पता चला है.
रिसर्च के मुताबिक, चंद्रमा की सतह और उसके लगभग 10 सेमी नीचे तकरीबन 60 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान का अंतर है. इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह में तापमान का यह अंतर भविष्य में बस्तियां बसाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है
वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि क्या चंद्रमा अंतरिक्ष से जुड़ी खोज के लिए एक बेस के रुप में काम कर सकता है और क्या लंबे समय के लिए निवास संभव है
चंद्रमा के लैडर के जरिए किया गया सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट एक थर्मामीटर जैसा है. इसे चंद्रमा की मिट्टी से 10 सेमी तक डाला गया. परत के अंदर विभिन्न स्तरों पर तापमान मापने के लिए उपकरण में 10 सेंसर लगे थे
चंद्रमा का एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है. चंद्रयान-3 के इस मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि सभी प्रयोग लगभग उसी अवधि में पूरे हो जाएं
वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रमा की सतह पूरी तरह से निष्क्रिय है. इसकी वजह से हम इसे मानव आवास के लिए थर्मल कंबल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं. ठीक उसी तरह जैसै ठंड की रातों में कंबल इस्तेमाल किया जाता है
23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर भारत का चंद्रयान-3 उतरा था. भारत की ओर से चांद पर लैंडर उतारने का यह दूसरा प्रयास था. भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार मिशन उतारने वाला देश बना था