दुनिया में हिंदू, जैन, बौद्ध, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों समेत कई मजहबों के लोग रहते हैं.



सभी मजहबों में अलग-अलग मान्यताएं और पवित्र पुस्तकें हैं, जिनका उनके अनुयायी अनुसरण करते हैं.



मसलन, मनुष्य (इंसान) की उत्पत्ति का सिद्धांत भी हर मजहब में अलग-अलग है.



कुरान के अनुसार, धरती पर आदम व हव्वा सबसे पहले आये. इसलिए मुस्लिमों में मान्यता है कि 'आदम' पहला इंसान था.



वहीं, दुनिया के सबसे प्राचीन 'सनातन धर्म' के ग्रंथ 'इंसान' यानी कि मानव की उत्पत्ति के बारे में विस्तार से बताते हैं.



सनातन धर्म को हिंदुओं का मूल माना जाता है. कहा जाता है कि बाहरी लोगों ने हम भारतीय उपमहाद्वीप के इंसानों को हिंदू (इंडो) कहा था. इसलिए तब से हिंदू हो गए.



'सनातन धर्म' के ग्रंथों के अनुसार, ईश्वर ने देव, दैत्य, गंधर्व, दानव और मानव आदि असंख्य प्राणियों की रचना की.



धर्म- ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्माजी (जो ईश्वर के 3 रूपों में एक हैं) सृष्टि के रचियता हैं.



ब्रह्माजी ने अपनी दैवीय शक्ति से सबसे पहले मनु और शतरूपा को प्रकट किया. ये ही सबसे पहले स्त्री-पुरुष थे.



सुखसागर ग्रंथ के अनुसार, ब्रह्मा जी ने स्वयं को 2 भागों में विभक्त किया था- 'का' और 'या' (काया). उन्हीं दो भागों में से एक से पुरुष तथा दूसरे से स्त्री की उत्पत्ति हुई.



मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि ब्रह्मा जी से प्रकट हुए पुरुष को 'स्वयंभुव मनु' और स्त्री को 'शतरूपा' कहा गया.



सृष्टि (संसार) को आगे बढ़ाने के लिए मनु और शतरूपा में संबंध बना. फिर उनसे ही मानव समाज की उत्पत्ति हुई.



इस प्रकार, संसार में पहला इंसान मनु था. संस्कृत में उसे मनुष्य और हिंदी में मानव कहा गया.



अंग्रेजी में मानव को मैन/वुमैन कहा जाता है. अरबिक (इस्लाम) में आदमी कहा जाता है.



बिना पुरुष और स्त्री (वीर्य-रज समायोजन) के संतानोत्पत्ति नहीं हो सकती, यही सृष्टि का नियम है. और, किसी भी मजहब की मान्यताएं इस तथ्य से परे नहीं हैं.