जून 1665 में  छत्रपति शिवाजी महाराज और राजा जय सिंह प्रथम के बीच एक संधि हुई

राजा जय सिंह प्रथम औरंगजेब का प्रतिनिधित्व कर रहे थे

शिवाजी महाराज और राजा जय सिंह के बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर किए गए

इस संधि के अनुसार मराठों को कई किले मुगलों को देने पड़े

 छत्रपति शिवाजी महाराज, औरंगजेब से मिलने के लिए सहमत हुए

वो अपने पुत्र संभाजी को भी आगरा भेजने के लिए तैयार हुए

1666 में शिवाजी महाराज आगरा मुगल बादशाह औरंगजेब से मिलने गए

मुलाकत के दौरान शिवाजी को लगा कि मुगल सम्राट ने उनका अपमान किया है

जिससे वो दरबार से बाहर आ गए

जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया

शिवाजी महाराज और उनके पुत्र मुगल कैद से बाहर निकलने में सफल रहें