मुगल बादशाह अकबर एक धर्मनिरपेक्ष शासक था

वह सभी धर्मों का सम्मान करता था

उसने महसूस किया कि सभी धर्मों का एक ही उद्देश है

इसलिए उसने सभी धर्मों की अच्छी बातें लेने का मार्ग अपनाया

इसी को सुलह-ए-कुल कहा जाता है

इस तरह उसने दिन-ए-इलाही चलाया

उसने उदार नीति अपनाकर हिंदुओं के प्रति सामान्य व्यवहार किया

उसने शिया मुस्लिम और राजपूतों को भी अपने नीति में शामिल किया

अकबर ने इसे अपने शासनकाल के अंतिम वर्षों में अपनाया था

यही वजह है कि उसे हिंदू-मुस्लिम दोनों वर्गों से प्यार और सम्मान मिला