इस वक्त औरंगजेब, शिवाजी और संभाजी की पहचान, उनके योगदान और निशानों को लेकर देश में सियासी बहस तेज हो गई है
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इस वक्त औरंगजेब, शिवाजी और संभाजी की पहचान, उनके योगदान और निशानों को लेकर देश में सियासी बहस तेज हो गई है

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इस बहस ने एक नया मोड़ लिया है, खासकर जब सवाल उठने लगा है
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इस बहस ने एक नया मोड़ लिया है, खासकर जब सवाल उठने लगा है

कि आगरा की असली पहचान ताजमहल से होनी चाहिए या फिर छत्रपति शिवाजी महाराज से

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आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को लेकर बयान दिया कि आगरा की असली पहचान शिवाजी महाराज से है
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आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को लेकर बयान दिया कि आगरा की असली पहचान शिवाजी महाराज से है

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उन्होंने कहा कि आगरा का संबंध बृजभूमि से है और इसे मुगलों से जोड़कर देखना गलत है
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उन्होंने कहा कि आगरा का संबंध बृजभूमि से है और इसे मुगलों से जोड़कर देखना गलत है

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योगी आदित्यनाथ ने आगरा में एक म्यूजियम छत्रपति शिवाजी महाराज के

नाम पर बनाने की घोषणा की ताकि उनकी वीरता और योगदान को सम्मान मिल सके

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बता दें, 1666 में शिवाजी ने औरंगजेब के निमंत्रण पर आगरा का दौरा किया था, जहां उन्हें दरबार में बुलाया गया

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शिवाजी को 5000 की मनसबदारी दी गई, जबकि वे 7000 चाहते थे, जिससे वे नाराज हो गए

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नाराजगी जताने पर औरंगजेब ने शिवाजी को कैद कर लिया,

लेकिन शिवाजी ने मिठाई और फल की टोकरी में छिपकर जेल से भागने में सफलता पाई

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बर्टन स्टेन जैसे इतिहासकारों ने अपनी किताबों में इस घटना का जिक्र किया है

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शिवाजी का आगरा जाना उनके जीवन का एकमात्र मौका था

और यह घटना उनके संघर्ष और मुगलों से उनके रिश्ते का प्रतीक बन चुकी है.

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