क्या होते हैं सैटेलाइट फोन! क्या कोई भी इसे खरीद सकता है?

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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पहलगाम आतंकी हमले में सैटेलाइट फोन होने की बात सामने आई है. माना जा रहा है कि यह डिवाइस पाकिस्तान या किसी अन्य देश से तस्करी कर लाया गया हो सकता है.

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सैटेलाइट फोन का मुख्य अंतर यह होता है कि ये मोबाइल टावर के बजाय सीधे सैटेलाइट के माध्यम से सिग्नल प्राप्त करते हैं जिससे यह दुर्गम इलाकों में भी काम करता है जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होता.

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सैटेलाइट फोन आम फोन की तरह ही दिखता है लेकिन ये एडवांस तकनीक पर काम करता है जिससे यह लैंडलाइन, सेलुलर नेटवर्क और सैटेलाइट तीनों के जरिए कनेक्शन बना सकता है.

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Huawei जैसे ब्रांड अब अपने स्मार्टफोनों में भी सैटेलाइट कम्युनिकेशन की सुविधा दे रहे हैं लेकिन यह सामान्य स्मार्टफोनों के मुकाबले काफी महंगे होते हैं.

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एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक और अमेरिका की T-Mobile जैसी कंपनियां अब यूजर्स को सैटेलाइट नेटवर्क से जोड़ने के लिए काम कर रही हैं, जिससे दूरदराज के इलाकों में भी सेवा उपलब्ध कराई जा सके.

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जब कोई सैटेलाइट फोन से कॉल करता है तो उसका सिग्नल सीधे पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में घूमते सैटेलाइट से जुड़ता है और वहीं से रिसीविंग डिवाइस तक पहुंचता है.

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सैटेलाइट फोन से कॉल करना सस्ता नहीं होता, इसकी लागत नेटवर्क, लोकेशन और कंपनी पर निर्भर करती है. इसके जरिए कॉल के साथ-साथ मैसेज और सीमित इंटरनेट भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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भारत में आम नागरिकों के लिए सैटेलाइट फोन पर प्रतिबंध है और अभी तक इस तरह की सेवा को सरकार से पूर्ण मंजूरी नहीं मिली है, हालांकि Jio, Airtel, Starlink जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में काफी तेजी से काम कर रही हैं.

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फिलहाल भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन वाले स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं हैं लेकिन Huawei जैसी कंपनियां चीन में पहले ही अपने प्रीमियम फोनों में यह सुविधा दे रही हैं और जल्द ही Apple भी iPhone में यह फीचर लाने की योजना बना रहा है.

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