ट्रेन के इंजन में बोरा भरकर रेत क्यों डाली जाती है? जानिए इस तकनीक को अपनाने का क्या है फायदा

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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रेत ट्रेन के पहियों और पटरियों के बीच घर्षण बढ़ाने में मदद करती है जिससे पहिए फिसलते नहीं हैं.

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बारिश, बर्फ या कीचड़ वाली जगहों पर जब पटरियां फिसलन भरी हो जाती हैं तब रेत से ट्रेन को स्थिरता मिलती है.

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जब ट्रेन रुकती है या दोबारा चलती है, उस समय अधिक ट्रैक्शन की जरूरत होती है उस समय रेत इसे सुनिश्चित करती है.

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पहाड़ी या ढलान वाले रूट पर रेत ट्रेन को ऊपर चढ़ने में सहायता करती है.

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आधुनिक इंजनों में रेत रखने के लिए विशेष टैंक होते हैं और ज़रूरत पड़ने पर पहियों पर रेत स्प्रे की जाती है.

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यदि अचानक ब्रेक लगाना हो तो रेत पहियों को ग्रिप दिलाने में मदद करती है.

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रेत सस्ती होती है और इसके इस्तेमाल से ट्रेन संचालन की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है.

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यह तकनीक दशकों पुरानी है पर आज भी इसे ज्यादातर इंजनों में इस्तेमाल किया जाता है.

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इसका इस्तेमाल नियंत्रित मात्रा में होता है जिससे इंजन या ट्रैक को कोई क्षति नहीं होती. भारत की रेल व्यवस्था में यह तरीका काफी समय से अपनाया जा रहा है. खासकर इसे मालगाड़ियों और भारी इंजनों में यूज किया जाता है.

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