क्या आपने कभी गौर किया है कि इतना भारी प्लेन किस तकनीक पर हवा में रुक जाता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की तकनीक.
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दरअसल, प्लेन के विंग्स हवा को काटते हैं जिससे नीचे से एक उठाने वाला फोर्स पैदा होता है जो विमान को हवा में टिकाए रखता है.
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प्लेन की बनावट ऐसी होती है कि वह हवा में संतुलन बनाए रख सके और हवा का दबाव सह सके.
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इंजन से पैदा होने वाला थ्रस्ट फोर्स विमान को आगे बढ़ाती है और हवा में बने रहने में मदद करती है. विमान हवा के प्रतिरोध को कंट्रोल करता है जिससे वह स्थिर उड़ान भर सकता है.
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हवा में रुकने के लिए थ्रस्ट और लिफ्ट में संतुलन बनाए रखना ज़रूरी होता है.
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कुछ विशेष प्लेन जैसे हेलीकॉप्टर या फाइटर जेट्स में हॉवरिंग तकनीक होती है जिससे वे एक जगह हवा में रुक सकते हैं.
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कुछ एडवांस प्लेन में VTOL तकनीक होती है जिससे वे ऊपर-नीचे उड़ सकते हैं और एक जगह पर रुक सकते हैं.
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हवा में स्थिरता बनाए रखने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा दिशा निर्देश दिए जाते हैं. विमान में ऑटो-पायलट टेक्नोलॉजी होती है जो उड़ान के दौरान स्थिरता और नियंत्रण बनाए रखती है.
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पायलट और सिस्टम लगातार हवा की दिशा और स्पीड का ध्यान रखते हैं ताकि विमान एक जगह स्थिर रह सके या धीरे-धीरे उड़ सके.