EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का प्रयोग चुनावों में वोट डालने के लिए किया जाता है जिससे मैन्युअल बैलेट पेपर की जरूरत नहीं पड़ती.

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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यह एक बैटरी से चलने वाली मशीन होती है जिसमें कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट होती है. मतदाता बैलेट यूनिट में बटन दबाकर वोट डालता है और कंट्रोल यूनिट इसे रिकॉर्ड करती है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि EVM इंटरनेट, वाई-फाई या ब्लूटूथ से कंट्रोल नहीं की जा सकती है. इसीलिए इसे हैक कर पाना फिलहाल संभव नहीं है.

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इसके अलावा EVM का सॉफ्टवेयर भी नहीं बदला जा सकता है क्योंकि यह माइक्रोकंट्रोलर में प्रोग्राम किया जाता है जिसे बदलना या री-प्रोग्राम करना संभव नहीं है.

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EVM एक स्टैंडअलोन डिवाइस है यानी इसे किसी बाहरी डिवाइस से कनेक्ट नहीं किया जा सकता जिससे छेड़छाड़ की संभावना भी बेहद कम हो जाती है.

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Voter Verifiable Paper Audit Trail (VVPAT) से मतदाता देख सकता है कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, वही रिकॉर्ड हुआ है या नहीं. इससे पारदर्शिता भी नहीं रहती है.

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EVM को सील और सुरक्षित रखा जाता है और चुनाव से पहले हर मशीन का परीक्षण किया जाता है जिससे कोई छेड़छाड़ न हो सके.

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मशीनें मजबूत सेफ्टी प्रोसेस और तीन स्तर की चेकिंग से गुजरती हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वे सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से काम करें.

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समय-समय पर राजनीतिक दलों द्वारा EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं लेकिन चुनाव आयोग और विशेषज्ञों ने इसे सुरक्षित बताया है.

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अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है कि बिना किसी छेड़छाड़ के EVM को हैक किया जा सकता है. फिलहाल चुनाव आयोग द्वारा भी इसे वोटिंग का सेफ तरीका बताया है.

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