देश के वीर सपूतों में से एक हैं भगत सिंह



देश की खातिर भगत सिंह ने हंसते-हंसते चूम लिया था फांसी का फंदा



भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को दी जानी थी फांसी



मगर निर्धारित समय से 11 घंटे पहले 23 मार्च को देर शाम ही दे दी गई फांसी



फांसी के फंदे की ओर जाते समय भगत सिंह गा रहे थे एक गीत



'दिल से न निकलेगी मरकर भी वतन की उल्फ़त, मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वतन आएगी रहे थे गुनगुना'



भगत सिंह के साथ सुखदेव और राजगुरु को भी दी गई थी फांसी



भगत सिंह के साथ राजगुरु और सुखदेव भी उनके सुर में सुर मिला रहे थे



ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या के आरोप में दी गई फांसी