सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष की आखिरी तिथि होती है.
इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि पता ना हो.


सर्वपितृ अमावस्‍या पर तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
इस बार सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन है.


अमावस्या तिथि 13 अक्टूबर को 9 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी.
14 अक्टूबर, शनिवार की रात 11 बजकर 25 मिनट पर यह समाप्त होगी.


सर्वपितृ अमावस्‍या के दिन तर्पण के 3 शुभ मुहूर्त हैं.
कुतुप मूहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है.


रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:30 बजे से 01:16 बजे तक है.
अपराह्न काल दोपहर 01:16 बजे से 03:35 बजे तक है.


सर्वपितृ अमावस्या पर साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा.
इस दिन शुभ इंद्र योग भी बन रहा है.


सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए.
इससे घर के सदस्यों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.


अमावस्या तिथि पर किए गए श्राद्ध से पूर्वज जल्द प्रसन्न होते हैं.
इस दिन सभी पूर्वजों के निमित्‍त श्राद्ध करना चाहिए.


सर्वपितृ अमावस्या पर ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन कराएं.
उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर विदा करें.