कुरुक्षेत्र युद्ध से एक शाम पहले भगवान श्रीकृष्ण अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे.

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तभी उडुपी के राजा श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे.

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उडुपी के राजा ने श्रीकृष्ण से कहा की कुरुक्षेत्र के युद्ध में मैं की किसी तरफ से नहीं लडूंगा.

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लेकिन जो युद्ध करेंगे उन सभी के लिए भोजन की व्यवस्था करूंगा.

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जहां एक तरफ युद्ध में तलवारें टकरा रही थी, वहीं दूसरी ओर उडुपी की रसोई में खाने की खुशबू फैल रही थीं.

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इस दौरान जब भोजन सभी सैनिकों को परोसा जाता तो एक भी तिनका बर्बाद नहीं जाता.

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इस चीज को देखकर युधिष्ठिर हैरान हो गए और सटीक मात्रा में भोजन बनाने का राज पूछा.

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तब उडुपी नरेश ने कहा कि, जब कृष्ण भोजन करते हैं, मैं उनके पास रहता हूं.

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वे जितने मूंगफली के दाने खाते हैं, अगले दिन युद्ध में उतने हजार सैनिक वीरगति को प्राप्त होते हैं.

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मैं उसी अनुपात से सभी के लिए भोजन तैयार करता हूं.

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